Economic Survey News: आर्थिक सर्वेक्षण (इकोनॉमिक सर्वे) भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे अहम दस्तावेज है। यह हर साल बजट से पहले पेश किया जाता है। इसमें अर्थव्यवस्था की स्थिति का पूरा विवरण होता है। इस सर्वे में नीतिगत पहलों के बारे में भी बताया जाता है। कुल मिलाकर यह अर्थव्यवस्था की संभावनाओं का विजन होता है, जो सरकार की ओर से पेश किया जाता है।
क्यों होता है आर्थिक सर्वेक्षण
इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) अर्थव्यवस्था का आईना है। इसमें सरकार ने किस सेक्टर में कैसा प्रदर्शन किया है। उसका ब्यौरा होता है। इसमें कृषि, सेवा, उद्योग और बुनियादी ढांचे जैसे बाकी सेक्टर की परफॉर्मेंस के बारे में बताया जाता है। आर्थिक सर्वे से अर्थव्यवस्था का विश्लेषण करने में मदद मिलती है। साथ ही यह भी पता चलता है कि अर्थव्यवस्था के विकास में कहां रूकावटें आ रही हैं।
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आर्थिक सर्वेक्षण को वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार की ओर से तैयार किया जाता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार की नियुक्ति प्रधानमंत्री की ओर से किया जाता है। इस समय डॉ वी. अनंथा नागेश्वरन वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार हैं। आर्थिक सर्वेक्षण को सबसे पहले संसद में पेश किया जाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण के तीन भाग होते हैं। पहला हिस्सा सबसे अहम होता है। इसमें इकोनॉमी से जुड़ी अहम बातें शामिल की जाती हैं। आर्थिक मुद्दों पर मुख्य आर्थिक सलाहकार की राय भी इसमें लिखी होती है। साथ ही अर्थव्यवस्था के बारे में सरकार की सोच के बारे में लिखा होता है। अन्य हिस्सों में अर्थव्यवस्था के अलग-अलग सेक्टर का प्रदर्शन लिखा होता है।
आर्थिक सर्वेक्षण से आम लोगों को क्या फायदा
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि किसी भी आधिकारिक दस्तावेज से वास्तविक स्थितियों को समझने में मदद मिलती है। आम लोगों को भी आर्थिक सर्वेक्षण से अर्थव्यवस्था के बारे में काफी सटीक जानकारी मिलती है। आगे की स्थिति और रोडमैप का पता चलता है। सर्वेक्षण में अर्थव्यवस्था ने अलग-अलग क्षेत्रों में कैसा प्रदर्शन किया है। इसकी जानकारी मिलती है। निवेश और बचत के मोर्चे पर अर्थव्यवस्था की क्या हालत है। इसका भी पता चलता है।