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टैरिफ पर क्या बीच का रास्ता निकालेंगे JD Vance? समझें यूएस वाइस प्रेसिडेंट टूर का गणित

टैरिफ विवाद के बीच अमेरिका के उप राष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर पहुंच गए हैं। 21 अप्रैल की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जेडी वेंस की मुलाकात होगी। माना जा रहा है कि इस बैठक में टैरिफ सहित कुछ दूसरे मुद्दों पर बातचीत हो सकती है। कारोबारी जगत की नजर इस बैठक पर टिकी हुई है।

Author Edited By : Neeraj Updated: Apr 21, 2025 12:35

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों से मची उथल-पुथल के बीच अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस भारत पहुंच गए हैं। वेंस चार दिनों की भारत यात्रा पर परिवार के साथ आए हैं। उनकी वाइफ उषा वेंस भारतीय मूल की हैं। जेडी वेंस आज शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकत करेंगे। इस दौरान टैरिफ और द्विपक्षीय व्यापार जैसे मुद्दों पर चर्चा संभव है।

भारत के पास शानदार मौका

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 26% टैरिफ लगाया है। हालांकि, उन्होंने चीन को छोड़कर सभी देशों पर टैरिफ 90 दिनों के लिए रोक दिया है। अगर ट्रंप 90 दिनों के बाद अपने रुख पर कायम रहते हैं, तो भारत के कई सेक्टर्स को सीधा नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसमें फार्मा और ऑटो भी शामिल हैं। ऐसे में जेडी वेंस का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण है। भारत खुलकर अमेरिका को अपनी स्थिति से अगवत करा पाएगा। माना जा रहा है कि PM मोदी के साथ अमेरिकी उप राष्ट्रपति की मुलाकात में टैरिफ विवाद का कोई समाधान निकल सकता है।

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द्विपक्षीय व्यापार पर बातचीत

पीएम मोदी और जेडी वेंस की मीटिंग में द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर भी बातचीत संभव है। यूएस वाइस प्रेसिडेंट के इस दौरे को भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के पहले चरण को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाना चाहते हैं। डोनाल्ड ट्रंप भारत के साथ व्यापार घाटे पर कई बार चिंता जाहिर कर चुके हैं। इसके साथ ही वह भारत द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर अत्यधिक टैरिफ पर भी अपनी नाराजगी जता चुके हैं। इसके मद्देनजर जेडी वेंस की भारत यात्रा इन मुद्दों का हल तलाशने के लिए महत्वपूर्ण है।

सैन्य बिक्री बढ़ाने पर जोर

अधिकारियों का कहना है कि इस बैठक में प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार संधि, टैरिफ विवाद के साथ-साथ दोनों देशों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने पर चर्चा हो सकती है। वहीं, यह भी माना जा रहा है कि वेंस भारत पर अमेरिकी रक्षा उपकरण खरीदने के लिए दबाव डाल सकते हैं। फरवरी में डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को F-35 स्टेल्थ लड़ाकू विमान का ऑफर देते हुए कहा था कि इस साल से हम भारत को कई अरब डॉलर की सैन्य बिक्री बढ़ाएंगे। जेडी वेंस इसी सिलसिले में बातचीत को आगे बढ़ा सकते हैं।

इन सेक्टर्स पर सीधा असर

एक्सपर्ट्स के अनुसार, जेडी वेंस टैरिफ के मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप के मैसेज के साथ भारत आए हैं। ऐसे में अगर इस मुद्दे पर दोनों देशों में कोई सहमति बनती है, तो यह भारत के लिए बड़ी जीत होगी। डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ पर केवल 90 दिनों की राहत दी है, स्थायी रोक नहीं लगाई है। लिहाजा, भारत को इस अवधि में ही कोई बीच का रास्ता निकालना होगा। बढ़े हुए टैरिफ से भारत के कई सेक्टर्स सीधे प्रभावित हो सकते हैं, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख हैं।

इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट

अमेरिका को भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट वित्त वर्ष 2024 में करीब 11.1 अरब डॉलर का रहा है। भारत द्वारा अमेरिका को किए जाने वाले कुल निर्यात में इलेक्ट्रॉनिक्स का योगदान 14% है। भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट में मोबाइल फोन की हिस्सेदारी ज्यादा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि टैरिफ बढ़ने से एप्पल जैसी कंपनियों को अपनी भारत प्रोडक्शन रणनीति के बारे में पुन: विचार करने की जरूरत महसूस हो सकती है, जो भारत की इस इंडस्ट्री के लिए अच्छा नहीं होगा।

जेम्स एंड ज्वेलरी

जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर में भारत ग्लोबल लीडर है। इस कैटेगरी में भारत के कुल 33 अरब डॉलर के निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 30% यानी 9.9 अरब डॉलर की है। इसमें कट एंड पॉलिश्ड डायमंड, गोल्ड ज्वेलरी और लैब-ग्रोन डायमंड शामिल हैं। एमके ग्लोबल का कहना है कि इस सेक्टर पर अमेरिका के भारी टैरिफ का असर बहुत ज्यादा हो सकता है। ऐसी स्थिति में भारतीय निर्माता सिंगापुर, UAE या ओमान जैसे देशों को अपना ठिकाना बना सकते हैं, जहां भारतीय उत्पादों की तुलना में अमेरिका का टैरिफ कम होगा। इसके अलावा, निर्यात में कमी से इस सेक्टर में रोजगार के अवसर भी प्रभावित हो सकते हैं।

फार्मा सेक्टर

फार्मा सेक्टर की बात करें, तो भारत अमेरिका को 47% जेनेरिक मेडिसिन की सप्लाई करता है और यह अमेरिका के हेल्थकेयर सिस्टम का एक महत्वपूर्ण पार्टनर है। भारत की जेनेरिक दवाएं सस्ती हैं, इस वजह से अमेरिका में इसकी अच्छी डिमांड रहती है। लेकिन टैरिफ बढ़ने से दवाएं भी महंगी हो सकती हैं, जिनसे इसकी यूएस मार्केट पर पकड़ ढीली पड़ सकती है।

ऑटोमोबाइल

भारत भले ही सीधे तौर पर अमेरिका को कार न भेजता हो, लेकिन यूएस के ऑटो पार्ट्स मार्केट में उसकी अच्छी हिस्सेदारी है। वित्त वर्ष 2024 में भारत के कुल ऑटो कॉम्पोनेन्ट एक्सपोर्ट्स में अमेरिका की हिस्सेदारी 27% थी। भारत से इंजन पार्ट्स, ट्रांसमिशन कंपोनेंट्स और इलेक्ट्रिकल सिस्टम सहित कई तरह के प्रोडक्ट अमेरिका जाते हैं। ऐसे में ट्रंप के टैरिफ कार्ड से भारत का प्रभावित होना लाजमी है। सोना बीएलडब्ल्यू प्रिसिजन फोर्जिंग्स, जो अपना 66% राजस्व अमेरिका और यूरोप से प्राप्त करती है, को मार्जिन पर दबाव का सामना करना पड़ सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंजन, ट्रांसमिशन, पावरट्रेन पर टैरिफ सप्लाई चेन को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि भारत का एक्सपोर्ट बेस डायवर्सिफाई है, जिसका उसे फायदा मिलेगा।

टेक्सटाइल

भारत के टेक्सटाइल और अपैरल एक्सपोर्ट में भी अमेरिका की बड़ी हिस्सेदारी है। वित्त वर्ष 2024 में भारत का अमेरिकी एक्सपोर्ट 9.6 अरब डॉलर रहा था, जो इंडस्ट्री के कुल एक्सपोर्ट का 28% है। जानकारों का कहना है कि ये सेक्टर बांग्लादेश और विएतनाम से प्रस्तिपर्धा का सामना कर रहा है। अगर टैरिफ बढ़ता है, तो भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे और बांग्लादेश एवं विएतनाम को इसका लाभ मिल सकता है। एमके ग्लोबल का कहना है कि रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने से इस सेक्टर पर बड़ी मार पड़ सकती है।

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First published on: Apr 21, 2025 12:21 PM

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