Salary Account Zero Balance Service: ज्यादातर कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों की सैलरी देने के लिए एक खाता खुलवाया जाता है जिसे सैलरी अकाउंट के नाम से जाना जाता है। ये सैलरी अकाउंट एक जीरो बैलेंस अकाउंट होता है जिसके लिए किसी तरह का मिनिमम बैलेंस का होना जरूरी नहीं होता है। सैलरी भेजने के लिए कंपनी इस खाते को कर्मचारियों के लिए खुलवाती है। वहीं, अगर आप नौकरी छोड़ देते हैं तो उस सैलरी खाते का क्या होता है और क्या जीरो बैलेंस समेत अन्य सुविधाओं का लाभ मिलता है या नहीं? आइए इसके बारे में जानते हैं।
नहीं होती मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत
सैलरी अकाउंट को कंपनी द्वारा बनवाया जाता है, जिसके लिए किसी तरह का कोई चार्ज नहीं लगता है। न ही मिनिमम बैलेंस रखने की कोई जरूरत होती है, क्योंकि ये एक जीरो बैलेंस अकाउंट होता है। जबकि, सेविंग अकाउंट में कम से कम 5000 रुपये होने जरूरी होते हैं। सेविंग में मिनिमम बैलेंस न होने पर आपको जुर्माना देना पड़ सकता है।
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क्या हैं सैलरी अकाउंट के फायदे
- फ्री चेक बुक
- पासबुक
- नेट बैंकिंग सर्विस
- कोई मैसेज चार्ज नहीं
- लोन सर्विस
- वेल्थ सैलरी अकाउंट ओपन करने की सुविधा
- 2 साल या उससे अधिक समय वाले सैलरी खाते पर ओवरड्राफ्ट सर्विस
नौकरी छोड़ने पर Salary Account का क्या होता है?
ये तो आप जान ही चुके हैं कि सैलरी अकाउंट क्या होता है। ऐसे में मन में अगर ये भी सवाल है कि आप जिस कंपनी में काम कर रहे थे उसे छोड़ने के बाद बन हुए सैलरी अकाउंट क्या होता है? क्या उसमें मिलने वाले जीरो बैलेंस की सुविधा मिलती है या नहीं? तो आपको बता दें कि अगर लागातार 3 महीने तक आपके सैलरी खाते में सैलरी नहीं आती है, तो ये सामान्य सेविंग अकाउंट बन जाता है। साथ ही आपको सैलरी अकाउंट में मिलने वाली सभी सुविधाएं भी फिर से वापस मिलने लगती हैं।