Raghuram Rajan on Indian Rupee: डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया पिछले कुछ समय से कमजोर होता जा रहा है। रुपये की सेहत में आई गिरावट ने सभी को चिंता में डाल दिया है, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि इस गिरावट को लेकर अत्यधिक चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
यूरो को ही देख लीजिए
रघुराम राजन ने एक इंटरव्यू में कहा कि निश्चित रूप से हमेशा रुपया-डॉलर एक्सचेंज रेट पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि डॉलर कई मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हो रहा है। यूरो को ही देख लीजिये। पिछले वर्ष की शुरुआत में एक डॉलर से 91 सेंट खरीदे जा सकते थे, अब 98 सेंट खरीदे जा सकते हैं। डॉलर के मुकाबले यूरो में लगभग छह से सात प्रतिशत की गिरावट है। भारतीय रुपये के साथ भी यही हुआ, यह 83 से 86 हो गया है।
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इसलिए चिंतित नहीं हैं राजन
राजन ने आगे बताया कि डॉलर में मजबूती आंशिक रूप से डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए जाने वाले संभावित नए टैरिफ के कारण है, जिसके परिणामस्वरूप अमेरिका का व्यापार घाटा कम होगा। अमेरिका के लिए व्यापार घाटा कम होने का मतलब है डॉलर में मजबूती। इस समय डॉलर एसेट में कुछ संभावित सेफ-हेवन बाईंग भी देखने को मिल रही है। इसलिए इन सब के मद्देनजर मैं बहुत चिंतित नहीं हूं।
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नरमी से निर्यात को फायदा
पूर्व RBI गवर्नर ने कहा कि वास्तव में रुपये में खास गिरावट नहीं आई है और कुछ अतिरिक्त नरमी भारतीय निर्यात के लिए उपयोगी हो सकती है। बता दें कि मंगलवार को रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर 86.64 पर पहुंच गया था और फिलहाल यह 86.58 पर है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद से डॉलर में मजबूती आ रही है और यह मजबूती केवल रुपये को ही कमजोर नहीं कर रही, कई प्रमुख करेंसी इससे प्रभावित हुई हैं।
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सबसे स्थिर मुद्राओं में शामिल
गिरावट के बावजूद रुपया दुनिया की सबसे स्थिर मुद्राओं में से एक बना हुआ है। कुछ वक्त पहले एसबीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले करीब 3 प्रतिशत तक गिर चुका है, लेकिन कई देशों की करेंसी के मुकाबले उसकी स्थिति बेहतर है। इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक रुपये की गिरावट को रोकने के लिए प्रयास कर रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, RBI सरकारी बैंकों के माध्यम से डॉलर बेच रहा है, ताकि रुपये की सेहत में सुधार किया जा सके।
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