नई दिल्ली: OPEC+ की आगामी बैठक के कारण आज वैश्विक तेल की कीमतें अधिक थीं। शुक्रवार को तेल की कीमतें 2 डॉलर प्रति बैरल से अधिक बढ़कर 95.44 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं।
विश्लेषकों के अनुसार, पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (OPEC) और उसके सहयोगी, जिन्हें सामूहिक रूप से OPEC+ के रूप में जाना जाता है।
वहीं, मौजूदा उत्पादन स्तर को बनाए रखने या कीमतों को समर्थन देने के लिए उत्पादन को कम करने का विकल्प चुन सकते हैं। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है। यह कीमतों में कमी से लाभ प्राप्त करता है क्योंकि इसकी वजह से आयातित मुद्रास्फीति को कम करता है।
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मार्च में उच्च स्तर पर जाने के बाद लगातार गिरावट देखी गई
मार्च में बहु-वर्ष के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद, पिछले तीन महीनों में तेल की कीमतों में गिरावट आई। दरअसल, चीन के खराब आर्थिक आंकड़े मांग में हुई कमी के संकेत देते हैं। चीन का रिफाइनरी आउटपुट मार्च 2020 के निचले स्तर पर है। इसके अलावा डॉलर इंडेक्स में रिकवरी से कीमतों पर दोहरा दबाव पड़ा है। वहीं, संभावना जताई जा रही है कि US शेल ऑयल बेसिन में उत्पादन 2.5 साल के उच्चतम स्तर पर जा सकता है। सितंबर में कुल उत्पादन 90 लाख बैरल/दिन के पार जा सकते हैं।
दुनिया भर में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका के बीच कम हुए कच्चे तेल के दाम भारत जैसे कच्चे तेल के आयातकों के लिए सुखद खबर बनकर आए। इससे तेल कंपनियों का घाटा कम होगा। वहीं, आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल में गिरावट की उम्मीदें बनेगी। हालांकि, अब एक बार फिर कुछ दाम बढ़े हैं।
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