Thursday, 28 March, 2024

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1 अक्टूबर से क्रेडिट-डेबिट कार्ड पर लागू होगा नया नियम: क्या है कार्ड टोकनाइजेशन, क्या है प्रोसेस और फायदे?

नई दिल्ली: Card Tokenization: डिजिटल का जमाना है, अब इस बात को हर कोई कह रहा है। हालांकि, चोर यहां भी बहुत एक्टिव हैं और शायद बहुत पहले से आम लोगों से धोखाधड़ी कर रहे हैं। जैसे ही सरकार कुछ पाबंदियां व अलर्ट मोड पर जाती है, वैसे ही साइबर फॉड भी अधिक सतर्कता से […]

Edited By : Nitin Arora | Updated: Sep 29, 2022 12:06
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नई दिल्ली: Card Tokenization: डिजिटल का जमाना है, अब इस बात को हर कोई कह रहा है। हालांकि, चोर यहां भी बहुत एक्टिव हैं और शायद बहुत पहले से आम लोगों से धोखाधड़ी कर रहे हैं। जैसे ही सरकार कुछ पाबंदियां व अलर्ट मोड पर जाती है, वैसे ही साइबर फॉड भी अधिक सतर्कता से लोगों का पागल बनाते हैं। अब RBI एक टोकेनाइजेशन का प्रोसेस लेकर आया है। इससे दावा किया जा रहा है कि ऑनलाइन फ्रॉड पर अंकुश लगेगा और ग्राहकों के निजी डाटा सेफ रहेंगे।

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आरबीआइ इसकी डेडलाइन बढ़ाने के मूड में नहीं दिख रहा है। एक अक्टूबर से डेबिट और क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने के लिए टोकेनाइजेशन अनिवार्य कर दिया गया है। पहले आपको यह समझना होगा कि ये टोकन का सिस्टम है क्या?

टोकेनाइजेशन क्या है?

टोकेनाइजेशन डेबिट या क्रेडिट कार्ड के विवरण को ऑपरेटिंग बैंक द्वारा जारी किए गए टोकन से बदल रहा है। यानी अब ऑनलाइन किसी चीज का भुगतान करते समय यूजर को अपने कार्ड पर लिखे हुए 16 अंकों में नहीं दर्ज करना पड़ेगा। इसके बदले बैंक लेनदेन के लिए एक टोकन जारी करेंगे। इससे ग्राहक के कार्ड की जानकारी अब किसी मर्चेंट, पेमेंट गेटवे या थर्ड पार्टी प्लेटफॉर्म के पास नहीं जा सकेगी। इस प्रक्रिया में कार्ड पर नाम, एक्सपायरी डेट और सीवीवी कोड भी अंकित होंगे।

सुरक्षा का है मामला

सभी टोकन-आधारित लेनदेन को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि हमारी वास्तविक जानकारी व्यापारियों, संस्थाओं के साथ साझा नहीं होती और आगे इसका दुरुपयोग भी नहीं हो सकता। हालांकि, लेनदेन को ट्रैक करने के लिए संस्थाएं कार्ड नंबर के अंतिम चार अंक और कार्ड जारीकर्ता के नाम को सहेज सकती हैं।

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यह कैसे काम करेगा?

1 अक्टूबर से लेनदेन के लिए उत्पन्न टोकन अपरिवर्तनीय और यूनिक होंगे। ये टोकन एक एल्गोरिदम द्वारा जेनरेट होता है। इसके साथ, सुरक्षा को लेकर कोई गड़बड़ी नहीं कर सकता और कार्ड विवरण प्राप्त करने के लिए भुगतान प्रक्रिया को डीकोड नहीं कर सकता।

आरबीआई के अनुसार, नई प्रणाली चार्जबैक, विवादों और धोखाधड़ी के मामले को कम करेगी और उपभोक्ताओं, व्यापारियों और बैंकों की मदद करेगी।

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First published on: Sep 29, 2022 11:45 AM

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