Reliance Jio Coin: रिलायंस जियो ने जब से अपने कॉइन का ऐलान किया है, इसे लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। JioCoin को रिलायंस की क्रिप्टो मार्केट में एंट्री बताया जा रहा है। हालांकि, कंपनी ने अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। जियो ने इंटरनेट टेक्नोलॉजी कंपनी पॉलीगॉन लैब्स के साथ साझेदारी में अपना कॉइन लॉन्च किया है।
कहां मिलता है कॉइन?
JioCoin एक ब्लॉकचेन-आधारित डिजिटल टोकन है, जिसे जियो इकोसिस्टम का हिस्सा बनने वाले यूजर्स को फायदा पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया है। फिलहाल, जियो कॉइन को जियोस्फीयर ब्राउजर के जरिए कमाया जा सकता है। जियोस्फीयर इस्तेमाल करने वाले यूजर्स को अब जियो कॉइन नामक नया फीचर भी नजर आने लगा है। JioCoin अभी सीधे खरीदने के लिए उपलब्ध नहीं हैं और न ही इन्हें क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों पर ट्रेड किया जा सकता है। इन्हें केवल जियो सर्विस का हिस्सा बनकर ही कमाया जा सकता है और Jio इकोसिस्टम के अंदर ही इसका लाभ उठाया जा सकता है।
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क्रिप्टो को लेकर बढ़ेगा क्रेज
कॉइनDCX की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जियो कॉइन रिलायंस इंडस्ट्रीज का सबसे नया प्रोजेक्ट है, जो ब्लॉकचेन तकनीक को भारत में लेकर आ रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस वर्चुअल कॉइन के लॉन्च होने से भारत में ज्यादा से ज्यादा लोग क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित होंगे। ध्यान देने वाली बात यह है कि जियोकॉइन की आधिकारिक कीमत अब तक सामने नहीं आई है, लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि इसकी कीमत लगभग 43 रुपये ($0.50) प्रति टोकन हो सकती है।
कंपनी के बयान का इंतजार
यहां, यह समझना भी जरूरी है कि जियो कॉइन पारंपरिक क्रिप्टोकरेंसी नहीं है। JioCoin एक कस्टमर एंगेजमेंट टूल ज्यादा है, जो यूजर्स को अपनी सेवाओं से जुड़ने के लिए पुरस्कृत करता है। जैसे कि कोई प्रोडक्ट खरीदना, मूवी स्ट्रीम करना या ऑनलाइन शॉपिंग करना आदि। क्रिप्टोकरेंसी की बात करें, तो यह स्वतंत्र रूप से संचालित होती हैं और सरकार का उस पर कोई नियंत्रण नहीं होता। हालांकि, असली तस्वीर तभी साफ होगी जब कंपनी इस बारे में विस्तार से कोई जानकारी साझा करेगी।
अभी क्या है व्यवस्था?
माना जा रहा है कि रिलायंस जल्द ही जियो कॉइन के बारे में औपचारिक घोषणा कर सकती है, जिसमें इसके मूल्य, विशेषताओं, उपयोग और अन्य विवरणों का खुलासा किया जाएगा। क्रिप्टो पर टैक्स की बात करें, तो सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी सहित डिजिटल एसेट्स को औपचारिक रूप से वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के रूप में वर्गीकृत किया है। नतीजतन, क्रिप्टोकरेंसी और NFT जैसी वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों की बिक्री या ट्रांसफर से होने वाले मुनाफे पर 30% टैक्स (प्लस 4% उपकर) लगाया जाता है। यदि एक ही वित्तीय वर्ष में कुल लेनदेन मूल्य 50,000 रुपये (या कुछ मामलों में 10,000 रुपये) से अधिक है, तो क्रिप्टो परिसंपत्ति हस्तांतरण पर 1% TDS काटा जाता है।