---विज्ञापन---

एक किसान, जो सिर्फ 3 बीघे जमीन से कमा रहा 5 लाख रुपए सालाना; बेमौसमी सब्जियां उगाकर बना मिसाल

Earning From Off Season Vegetables: हिमाचल प्रदेश के चंबा जैसे जलवायु विविधता वाले क्षेत्र का एक किसान दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है। वह बेमौसमी सब्जियों का फंडा अपनाकर सिर्फ तीन बीघे जमीन पर ही 5 लाख रुपए सालाना की बचत कर रहा है।

Edited By : Balraj Singh | Updated: Oct 26, 2023 19:11
Share :
Agriculture Sector, Business Farming, Business News, Chamba Local News, Chamba Weather, Chamba's Diverse Climate, Diverse Climate Of India, Himachal Pradesh News in Hindi, Inspirational Story, Inspirational Story Of A Farmer, Inspirations Off Season Vegetable Farming, Profitive Agro Farming, Chamba's Successful Farmer Sanjeev Kumar
अपने फार्म हाउसे पर सब्जियों की देखभाल में लगे किसान संजीव कुमार।

चम्बा: आदमी कुछ अलग कर गुजरने की सोच रखता हो तो फिर सब संभव हो जाता है। कुदरत से भी लड़ने की हिम्मत रखते ऐसे लोग न सिर्फ अपनी आर्थिक समस्याओं को मात दे डालते हैं, बल्कि दूसरे लोगों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन जाते हैं। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में एक प्रयोगशील किसान ने कुछ इसी तरह अपने आप को साबित किया है। बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन करके अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ करने के साथ-साथ लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। चंबा जिले के संजीव कुमार नामक यह प्रगतिशील किसान अगस्त और सितंबर में मटर और फ़्रांसबीन जैसी सब्जियां उगाकर सिर्फ 3 बीघे जमीन से 5 लाख रुपए सालाना की बचत कर रहे हैं।

व्यापारी खेतों में ही अच्छे दामों में खरीद रहे बेमौसमी सब्जियां

दरअसल, इस बात में कोई दो राय नहीं कि चंबा जिले की जलवायु बड़ी विविधता रखती है, ऐसे में यहां बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन की अधिक सम्भावनाएं मौजूद हैं। इन्हीं संभावनाओं को ग्राम पंचायत भनोता के ग्राम ठुकरला के संजीव कुमार ने भुनाया है। संजीव कुमार न सिर्फ बेमौसमी बाजार में अच्छी कीमत पर सब्जियां बेच रहे हैं। इस कार्य में उनके साथ चार से पांच किसान और भी जुड़े हैं। संजीव कुमार का कहना है कि किसान कृषि विभाग से बहुमूल्य जानकारी हासिल करके लाभ ले सकते हैं और साथ ही खुद भी जी-जान से मेहनत करनी होगी। वह खुद भी बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन मटर, फ़्रांसबीन, गोभी, मूली, बैंगन, ब्रोकली, पालक की फसल तैयार कर बिक्री कर रहे हैं। देश और प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले बेमौसमी होने के कारण, व्यापारी किसानों से खेतों में ही अच्छे दामों में खरीद रहे हैं। इन बेमौसमी सब्जियों से लगभग 4 से 5 लाख वार्षिक आय हो रही है।

संजीव कुमार की मानें तो हालांकि उनके सामने कई सारी समस्याएं थी। एक ओर उनके ट्रैक्टर और खेती के दूसरे उपकरण नहीं थे, वहीं मौसमी मार भी अपने आप में बड़ी समस्या थी। उन्होंने कृषि विभाग की तरफ से प्रदेश में चल रही योजनाओं का लाभ उठाकर अपने जीवन को सुखद बनाने की ठानी। इसमें विभाग की तरफ से सराहनीय याेगदान मिला और इसी मदद का नजीता है कि आज न सिर्फ वह खुद एक सफल किसान हैं, बल्कि अपने साथ औरों को भी जोड़ पाए।

सब्सिडी पर मिले बीज, ट्रैक्टर और दूसरी सुविधाएं

संजीव कुमार ने बताया कि कृषि विभाग की तरफ से बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन की प्रेरणा काम आई। विभाग की तरफ से मुझे बेमौसमी सब्जियों के उन्नत किस्म के बीज मुहैया करवाए गए। इसके अलावा कृषि विभाग ने उन्हें 50 प्रतिशत अनुदान राशि पर ट्रैक्टर मुहैया करवाया है। सिंचाई सुविधा न होने के कारण भू संरक्षण विभाग द्वारा पानी के टैंक के निर्माण के लिए 36 हजार की राशि उपलब्ध कराई गई, साथ ही पावर ड्रिप उन्हें 80 प्रतिशत अनुदान राशि पर उपलब्ध हुआ। अब उन्हें अपनी पारिवारिक जरूरतों के लिए नौकरी की तलाश नहीं है, बल्कि वह कहते हैं कि वर्तमान में युवा नौकरी की तलाश में संघर्ष कर रहे हैं, उससे बेहतर यह रहेगा कि बेरोजगार युवा भी अपनी भूमि पर बेमौसमी सब्जियां उगाकर रोजगार का साधन खुद ही अर्जित करें।

यह भी पढ़ें: धोनी और कोहली कौन है नंबर 1 बिजनेसमैन, आंकड़े देख चौंक जाएंगे आप

दूर-दराज के नालों से कुहल के जरिये खेतों तक पानी पहुंचा रहा कृषि विभाग

उधर, इस बारे में कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. कुलदीप धीमान ने कहा कि जिला चंबा की विविध जलवायु होने के कारण यहां वे मौसमी सब्जियों के उत्पादन की अधिक सम्भावनाएं मौजूद हैं। जिले के किसानों की सिंचाई की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से शत-प्रतिशत अनुदान पर दूर-दराज के नालों से पानी को सिंचाई कुहल के माध्यम से किसानों के खेतों तक पहुंचाया गया। पानी को इकत्रित करने के लिए किसानों के खेतों में जल भण्डारण टैंक बनाए गए और किसानों के खेतों में 80 प्रतिशत अनुदान पर सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियां स्थापित की गई हैं और पिछले कुछ वर्षों में लगभग 2000 हेक्टेयर क्षेत्र पर सूक्ष्म सिंचाई सुविधाएं स्थापित की गई हैं। ये सुविधाएं स्थापित करने के लिए पिछले दो वर्षों में नीति आयोग से कृषि विभाग को लगभग 150 लाख की धनराशि भी मिली है, जिसे कृषि आधारित विभिन्न गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए खर्च किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें: 1 नवंबर से होने जा रहे हैं ये 4 बड़े बदलाव, जान लें, नहीं तो हो जाएंगे परेशान

चंबा में 2200 हैक्टेयर क्षेत्रफल में सब्जी उत्पादन

भू संरक्षण अधिकारी चंबा डॉ. संजीव कुमार मन्हास ने कहा कि फव्वारा सिंचाई प्रणाली स्थापित करने के बाद पानी की बचत होती है इसलिए कम पानी से अधिक क्षेत्रफल में सिंचाई की जा रही है। दूसरा सिंचाई करने में समय की बचत होती है और सही मात्रा में फसल को पानी मिलाने से पैदावार में बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने बताया कि जिला चंबा का भौगोलिक क्षेत्रफल लगभग 692 हजार हेक्टेयर है, जिसमें से केवल 41.80 हज़ार हेक्टेयर भूमि पर मक्की, धान और गेहूं की खेती की जा रही है, लेकिन अब यहां के किसानों का भी नकदी बेमौसमी सब्जियों की और उनका रुझान बढ़ रहा है और लगभग 2200हेक्टेयर क्षेत्रफल में सब्जी उत्पादन किया जा रहा है। इससे किसानों की आर्थिकी मजबूत हो रही है।

First published on: Oct 26, 2023 07:06 PM
संबंधित खबरें