भारत की इकोनॉमी को लेकर IMF ने एक नई रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने में अब 2029 तक का समय लगेगा.यानी पहले के अनुमान से एक साल बाद भारत अब इस माइलस्टोन को छू पाएगा.
IMF की 26 नवंबर को जारी लेटेस्ट स्टाफ कंसल्टेशन रिपोर्ट में कहा है कि धीमी नॉमिनल GDP ग्रोथ और US डॉलर के मुकाबले रुपये में तेज गिरावट के कारण एक साल का समय आग बढ़ा है.
IMF को अब उम्मीद है कि भारत FY26 में $4 ट्रिलियन का आंकड़ा पार करेगा और FY28 में लगभग $4.96 ट्रिलियन तक पहुंच जाएगा. यानी वित्त वर्ष 2028 तक भारत $5 ट्रिलियन के टारगेट से थोड़ा पीछे ही रह जाएगा. इसलिए आईएमएफ ने अनुमान को वित्त वर्ष 2029 तक बढ़ा दिया है. फरवरी 2025 में, IMF ने FY28 में भारत की GDP $5.15 ट्रिलियन रहने का अनुमान लगाया था. इसलिए, नया अनुमान लगभग $200 बिलियन कम है.
IMF के 2023 के कंसल्टेशन की तुलना में, यह अंतर और भी ज्यादा है. साल 2023 में, आईएमएफ को ये उम्मीद थी कि भारत FY28 में $5.96 ट्रिलियन तक पहुंच जाएगा. लेकिन 2025 के अनुमानों के तहत, FY28 का अनुमान लगभग $0.5 ट्रिलियन कम है, जो दिखाता है कि दो सालों में एक्सचेंज-रेट के अंदाजे कितनी तेजी से बदले हैं.
गिरते रुपये का बड़ा रोल
पिछले कुछ समय से डॉलर के मुकाबले रुपये के वैल्यू में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. ऐसे में आईएमएफ का अनुमान रुपये की वैल्यू को ध्यान में रखते हुए ही जारी किया गया है.
FY25 के लिए एक्सपेक्टेड एक्सचेंज रेट को 2023 में 82.5 रुपये प्रति डॉलर से बदलकर 2025 की रिपोर्ट में 84.6 रुपये कर दिया गया. वहीं FY26 के लिए, IMF ने और गिरावट का अनुमान 87 रुपये और FY27 में 87.7 रुपये लगाया है.
बता दें कि 21 नवंबर को रुपया 89.49 रुपये प्रति डॉलर के ऑल-टाइम लो पर पहुंच गया था और 26 नवंबर को 89.23 रुपये पर बंद हुआ. इन बदलावों से भारत की डॉलर-आधारित GDP कम हो जाती है.
भारत फिर भी रेस में आगे
ये बात ठीक है कि $5 ट्रिलियन तक पहुंचने में भारत को थोड़ी देर लगेगी, लेकिन IMF यह भी मानता है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी इकॉनमी में से एक बना रहेगा. आईएमएफ ये मानता है कि भारत के पास मजबूत घरेलू डिमांड और बेहतर स्ट्रक्चरल फंडामेंटल्स का सपोर्ट है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अगर पेंडिंग ट्रेड एग्रीमेंट पूरे हो जाते हैं और रिफॉर्म की रफ्तार जारी रहती है, तो उसका आउटलुक और मजबूत हो सकता है.
हालांकि, भारतीय एक्सपर्ट IMF के कई अंदाजों से सहमत नहीं हैं. उन्होंने अंदाजों को कंजर्वेटिव बताया. खास तौर पर तब जब हाल ही में भारतीय एक्सपोर्ट पर लगाए गए 50 परसेंट US टैरिफ हमेशा के लिए बने रहेंगे.










