Health Insurance Plans Buying Tips: बीमारी कब, किसे हो जाए नहीं कहा जा सकता और आजकल की लाइफस्टाइल में तो इसका अनुमान लगाना बेहद मुश्किल हो गया है। ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस काफी महत्वपूर्ण बन गया है। तमाम कंपनियां अपने कर्मचारियों को यह बीमा प्रदान करती हैं और इंडिविजुअल लोग भी हेल्थ इंश्योरेंस को तवज्जो देने लगे हैं। हेल्थ इंश्योरेंस आपको बीमार पड़ने से तो नहीं बचा सकता, लेकिन बीमारी के चलते आपकी जेब पर पड़ने वाले असर को कम ज़रूर कर सकता है। इसलिए आपको हेल्थ इंश्योरेंस लेने के बारे में ज़रूर सोचना चाहिए। यहां हम आपको हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जो हर व्यक्ति को पता होनी चाहिए।
युवाओं को भी है जरूरत
आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि यह सोचना कि हेल्थ इंश्योरेंस केवल बुजुर्गों के लिए है और युवाओं को इसकी कोई जरूरत नहीं, पूरी तरह से गलत है। आजकल युवा बहुत तेजी से गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इसलिए उनके लिए यह अत्यंत जरूरी बन गया है। हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम उम्र के साथ-साथ बढ़ता जाता है। ऐसे में आप जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, उतना अच्छा है।
तुरंत ही नहीं मिलता कवरेज
हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर एक आम धारणा है कि प्लान खरीदते ही आपको कवरेज मिल जाता है, जबकि हमेशा ऐसा नहीं होता। कुछ मेडिकल बीमा प्लान में वेटिंग पीरियड होता है। कुछ बीमारियों के लिए कवरेज केवल वेटिंग पीरियड समाप्त होने के बाद ही मिलता है। लिहाजा, यह जरूरी है कि प्लान खरीदते समय आप पॉलिसी की हर एक डिटेल को ध्यानपूर्वक पढ़ें, ताकि आप कोई ग़लतफ़हमी न रहें और आपको पता हो कि कब क्लेम लिया जा सकता है।
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सभी बीमारियां कवर नहीं
यह भी आमतौर पर माना जाता है कि हेल्थ इंश्योरेंस सभी तरह की बीमारियों को कवर करता है, जबकि ऐसा नहीं है। हर प्लान अलग होता है और कंपनियां अपने हिसाब से उसे तैयार करती हैं। लिहाजा, पॉलिसी खरीदते समय आपको यह जानकारी ज़रूर लेनी चाहिए कि कौनसी बीमारियां कवर हैं और कौनसी नहीं। कुछ कंपनियां आपकी ज़रूरत के अनुसार प्लान में बदलाव भी करती हैं। इसलिए हर बात को जानकर और समझकर ही पॉलिसी चुनें। यदि आप पॉलिसी लेने के बाद ऐसी किसी बीमारी के लिए दावा करते हैं, जो कंपनी की एक्सक्लूशन लिस्ट में है तो आपका क्लेम खारिज हो जाएगा।
सबसे सस्ता सबसे अच्छा नहीं
हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर एक मिथक यह भी है कि सबसे सस्ता प्लान सबसे अच्छा विकल्प है। लेकिन हकीकत यह है कि आप केवल प्लान की कीमत देखकर कवरेज नहीं पा सकते। आपको यह देखना होगा कि उसमें क्या-क्या सुविधाएं हैं। हर व्यक्ति की स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतें अलग-अलग होती हैं, इसलिए आपको ऐसे प्लान की ज़रूरत होती है जो आपकी ज़रूरतों के हिसाब से बना हो। ऐसे में उसका प्रीमियम ज्यादा भी हो सकता है।
स्वास्थ्य बीमा को लेकर एक ग़लतफ़हमी यह भी है कि इसमें प्रेग्नेंसी यानी गर्भावस्था को कभी शामिल नहीं किया जाता। जबकि ऐसा नहीं है। अधिकांश फैमिली फ्लोटर स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में मैटरनिटी को व्यापक रूप से शामिल किया जाता है। आप स्पेशल मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस प्लान भी खरीद सकते हैं। ऐसे प्लान में भी वेटिंग पीरियड होता है, लिहाजा उसका ध्यान रखें।
एडमिट होना नहीं है जरूरी
क्या बीमा क्लेम के लिए अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है? अधिकांश लोग इसका जवाब ‘हां’ में देंगे, जबकि हर मामले में ऐसा नहीं है। आप डे केयर प्रोसीजर, ओपीडी खर्चों, डायग्नोस्टिक टेस्ट आदि के लिए भी क्लेम कर सकते हैं। हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर एक भ्रम यह भी है कि इसमें पहले से मौजूद बीमारियों को कभी भी कवर नहीं किया जाएगा। हालांकि, कई प्लान पहले से मौजूद बहुत सी मेडिकल कंडीशन को कवर करते हैं, लेकिन यह एक पूर्व-निर्धारित वेटिंग पीरियड के बाद होता है। यह जरूरी है कि आप प्लान लेने से पहले अपनी सभी बीमारियों का उल्लेख करें। जानकारी देते समय आप जितना पारदर्शिता बरतेंगे, उतना ही अच्छा रहेगा।
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हर खर्च नहीं उठाती कंपनी
नेटवर्क अस्पताल केवल बड़े शहरों में मिलते हैं, यह भी स्वास्थ्य बीमा को लेकर एक आम धारणा है। जबकि सच्चाई यह है कि स्वास्थ्य बीमा कंपनियों द्वारा पेश किया जाने वाले हॉस्पिटल नेटवर्क केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं हैं। अधिकांश बीमा प्रदाताओं के पास व्यापक नेटवर्क है, जिसकी पूरे देश में छोटे शहरों और कस्बों तक भी पहुंच है। आप नेटवर्क के तहत आने वाले किसी भी अस्पताल में कैशलेस ट्रीटमेंट का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा, कुछ नियम एवं शर्तों के साथ नेटवर्क से बाहर वाले अस्पतालों में भी इलाज करवा सकते हैं।
आपको यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि स्वास्थ्य बीमा इस बात की गारंटी नहीं है कि अस्पताल का हर खर्च कवर किया जाएगा। हर प्लान अलग होता है, लिहाजा संभव है कि कुछ ऐसी बीमारियां या अवस्थाएं हों जो प्लान के तहत कवर नहीं हैं। ऐसे में उसका खर्चा आपको अपनी जेब से करना होगा। इसके अलावा, यदि आपकी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में हॉस्पिटल के रूम खर्च को लेकर कोई कैप है, तो उस लिमिट से अधिक के खर्च का भुगतान भी आपको करना होगा। इसलिए प्लान लेने से पहले हर डिटेल बारीकी से जांचें।
रिन्यूअल को लेकर रहें सावधान
हेल्थ इंश्योरेंस भी आपको रिन्यू करवाना होता है। कई बार लोग भूलवश ऐसा नहीं करवा पाते और सोच लेते हैं कि निर्धारित तिथि के बाद रिन्यू करवाने पर पेनल्टी देनी होगी। जबकि पॉलिसीधारकों के पास बिना किसी दंड के उसे नवीनीकृत करने के लिए 15-30 का समय होता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पॉलिसी की समाप्ति तिथि और नवीनीकरण की तिथि के बीच में किसी भी मेडिकल ट्रीटमेंट को नवीनीकृत पॉलिसी के तहत कवर नहीं किया जाएगा।