Business Growth Surge: देश का प्राइवेट सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है। फरवरी में इसकी ग्रोथ पिछले छह महीनों में सबसे तेजी से हुई है। एक सर्वे में सामने आया है कि सर्विस गतिविधियों में उछाल के चलते प्राइवेट सेक्टर की ग्रोथ फरवरी में पिछले 6 महीनों में सबसे तेज रही है। दरअसल, सर्विस गतिविधियों में वृद्धि की वजह से व्यवसायों को बढ़ती इनपुट लागत का भार ग्राहकों पर डालने में मदद मिली है और इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान जॉब क्रिएशन में भी उछाल देखने को मिला है।
इसलिए अहम है वृद्धि
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत के लिए प्राइवेट सेक्टर की ग्रोथ के यह आंकड़े काफी मायने रखते हैं। भारत इस समय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संभावित टैरिफ जैसे वैश्विक जोखिमों का सामना कर रहा है। आशंका जताई जा रही है कि ट्रेड वॉर शुरू होने से इस वित्तीय वर्ष में आर्थिक विस्तार की दर प्रभावित हो सकती है।
इंडेक्स ने भरी उड़ान
HSBC फ्लैश इंडिया कम्पोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स इस महीने बढ़कर 60.6 हो गया, जो जनवरी के 57.7 से उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है। प्राइवेट सेक्टर की इस ग्रोथ का नेतृत्व प्रमुख सेवा क्षेत्र ने किया, जिसका सूचकांक इस महीने 61.1 पर पहुंच गया, जो पिछले साल मार्च के बाद से इसका उच्चतम स्तर है। इसने मैन्युफैक्चरिंग PMI में मामूली गिरावट की भरपाई की है, जो 57.7 से गिरकर 57.1 पर आ गया है। हालांकि यह अभी भी स्वस्थ विस्तार का संकेत है।
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नए ऑर्डर भी बढ़े
सर्विस सेक्टर का मजबूत प्रदर्शन मुख्य रूप से नए बिजनेस में आए उछाल से प्रेरित रहा। वहीं, मैन्युफैक्चर्ड गुड्स के लिए नए ऑर्डर भी बढ़े। हालांकि, पिछले महीने की तुलना में इसकी रफ्तार कुछ कम रही। दोनों इंडस्ट्री के लिए इंटरनेशनल डिमांड का पैटर्न लगभग समान रहा है। जॉब क्रिएशन के मामले में शानदार बढ़त देखने को मिली। नई नौकरियों का सृजन सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। यह ट्रेंड सर्वे शुरू होने के बाद से पहली बार देखा गया है।
डिमांड का लाभ उठाया
सर्वे में यह भी सामने आया है कि इनपुट लागत दबाव कम होने के बावजूद कारोबारियों ने कीमतों में वृद्धि करके मांग का लाभ उठाया। अक्टूबर के बाद पहली बार, आउटपुट चार्ज के लिए सब-इंडेक्स इनपुट कीमतों से अधिक हो गया। मैन्युफैक्चरिंग की तुलना में सर्विस सेक्टर में लागत दबाव अधिक था। सर्वे के अनुसार, व्यवसायों का आत्मविश्वास जनवरी की तुलना में बढ़ा है और नवंबर के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। खासतौर गुड्स प्रोड्यूसर आने वाले वित्त वर्ष को लेकर अधिक आशावादी हैं।