EPS: देश की सबसे बड़ी अदालत ने कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 4 नवंबर को साल 2014 के लिए कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना की वैधता को बरकरार रखा है। हालांकि, अदालत ने पेंशन फंड में शामिल होने के लिए 15,000 रुपये मासिक वेतन की सीमा को खत्म कर दिया है। इससे जिन कर्मचारियों का मासिक वेतन 15 हजार रुपये से अधिक है, उन्हें बड़ी राहत मिली है। जो कर्मचारी अभी तक कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) योजना में शामिल नहीं हुए हैं, उन्हें छह महीने का अतिरिक्त समय दिया गया है, ताकि वे इसमें शामिल हो सकें।
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इस कारण कोर्ट ने छह माह का अतिरिक्त समय दिया
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि जिन कर्मचारियों ने पेंशन योजना में शामिल होने के विकल्प का प्रयोग नहीं किया है, उन्हें छह महीने के भीतर ऐसा करना होगा। पीठ के अनुसार, जो कर्मचारी अंतिम तिथि तक योजना में शामिल नहीं हो सके, उन्हें एक और मौका दिया जाना चाहिए क्योंकि इस मामले में केरल, राजस्थान और दिल्ली के उच्च न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्णयों में स्पष्टता नहीं है।
15 हजार से अधिक वेतन पर अतिरिक्त अंशदान की शर्त खारिज
ज्यादातर कंपनियों के कर्मचारी कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के तहत आते हैं। इसके तहत कर्मचारी अपने वेतन का 12 फीसदी पेंशन खाते में जमा करते हैं और कंपनी भी इतनी ही राशि का योगदान करती है। पहले यह योगदान 6500 रुपये पेंशन योग्य वेतन के हिसाब से तय था, जिसे 2014 में संशोधन कर 15 हजार रुपये मासिक किया गया।
हालांकि, यदि आप 15,000 रुपये से अधिक का वेतन होने पर भी योगदान करते हैं, तो आपको 1.16 प्रतिशत का अतिरिक्त योगदान देना होगा। अब कोर्ट ने इस अतिरिक्त योगदान को खारिज कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि फैसले के इस हिस्से को छह महीने तक लागू नहीं किया जाएगा ताकि राइट्स फंड इकट्ठा कर सकें। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन और केंद्र ने केरल, राजस्थान और दिल्ली के उच्च न्यायालयों के उन फैसलों को चुनौती दी थी, जिन्होंने 2014 की योजना को रद्द कर दिया था।
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