Pitru Paksha Shradh 2023: आज से पितृपक्ष की शुरुआत हो चुका है। शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पूर्वजों को श्राद्ध कर उनको याद किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि पितरों को जल का तर्पण किया जाता है। ऐसा करने से पितर देव खुश होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं पितृपक्ष में जल से ही पितरों का तर्पण क्यों किया जाता है। अगर नहीं तो आज इस खबर में जानेंगे आखिर पितृपक्ष में जल से तर्पण किया जाता है। इसके साथ ही पितरों को किस समय भोग लगाना चाहिए। तो आइए दोनों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पितृपक्ष में जल से क्यों दिया जाता है तर्पण
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कहा जाता है कि इस माह में पितरों को याद करने के लिए जल से तर्पण किया जाता है। मान्यता है कि पितृलोक में पितरों के लिए जल की कमी हो जाती है। कहा जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर अपने वंशजों के पास आते हैं, ताकि उन्हें अन्न और जल मिल सकें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितृपक्ष में पितरों का कर्ज चुकाने के लिए अच्छा मौका होता है। इसलिए पितृपक्ष में जल से तर्पण किया जाता है।
यह भी पढ़ें- पितृ पक्ष के आखिरी दिन लगेगा सूर्य ग्रहण, इन 3 राशियों पर जमकर कृपा बरसाएंगे पितृ देव; आएंगे अच्छे दिन
पितरों का भोग लगाने के सही समय
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में पितरों को श्राद्ध के माध्यम से अन्न और तर्पण के माध्यम से जल अर्पित किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, पितरों का श्राद्ध करने के लिए सही समय सुबह से लेकर दोपहर तक का सही समय माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कभी भी पितरों का श्राद्ध शाम के समय नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से पितर नाराज हो जाते हैं। शास्त्र के अनुसार, पितृपक्ष में पितरों को भोग लगाने का समय दोपहर का माना गया है। इसके साथ ही कहा जाता है कि पितरों को भोग में खीर और पूड़ी बहुत ही अधिक पसंद होता है। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वशंज को आगे बढ़ने का आशीर्वाद देते हैं।
यह भी पढ़ें- पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने के लिए बेहद जरूरी हैं ये 3 चीजें, इनके बिना प्रसन्न नहीं होते पूर्वज
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।