Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष यानी श्राद्ध पक्ष आज से शुरू होने जा रहा है। इसका समापन 25 सितंबर को होगा। पितृ पक्ष भाद्रो मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन महीने की अमावस्या तिथि को खत्म होता है। हिंदू सनातन धर्म में पितृ पक्ष खास महत्व है।
मान्यताओं के मुताबिक पितृ पक्ष के दौरान पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कार्य किए जाते हैं। श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान जैसे कार्यों से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है तथा कुंडली में मौजूद पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। श्राद्ध के दिन दान का खास महत्व है। यहां देखें पितृ पक्ष की तिथि और किस दिन किसका श्राद्ध होगा।
पितृ ऋृण से मुक्ति के लिए किया जाता है श्राद्ध
हिंदू धर्म में पितृ ऋृण से मुक्ति के लिए श्राद्ध मनाया जाता है। हिंदू शास्त्रों में पिता के ऋृण को सबसे बड़ा और अहम माना गया है। पितृ ऋृण के अलावा हिन्दू धर्म में देव ऋृण और ऋषि ऋृण भी होते हैं, लेकिन पितृ ऋृण ही सबसे बड़ा ऋण है। इस ऋृण को चुकाने में कोई गलती ना हो इसीलिए इस दौरान खास नियम बरते जातें हैं।
पितृ पक्ष के दौरान करें ये उपाय
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दौरान गाय, चिंटी, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए। लोग गाय, कुत्तों और कौवों को भोजन खिलाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और सुख-शांति और खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पितृ पक्ष में ऐसे करें अपने पूर्वजों के श्राद्ध
- पहले यम के प्रतीक कौआ, कुत्ते और गाय का अंश निकालें।
- ‘ऊं पितृदेवताभ्यो नम:’ का जाप करते हुए किसी पात्र में दूध, जल, तिल और पुष्प लें। कुश और काले तिलों के साथ तीन बार तर्पण करें।
- बाएं हाथ में जल का पात्र लें और दाएं हाथ के अंगूठे को पृथ्वी की तरफ करते हुए उस पर जल डालते हुए तर्पण करते रहें।
- वस्त्रादि जो भी आप चाहें पितरों के निमित निकाल कर दान कर सकते हैं।
पितरों की शांति के लिए पितृ पक्ष के दौरान करें ये काम
- एक माला प्रतिदिन ‘ऊं पितृ देवताभ्यो नम:’ की करें।
- ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ का जाप करते रहें।
- भगवत गीता या भागवत का पाठ भी कर सकते हैं।
पितृ दोष (Pitra Dosh) के संकेत
- यदि घर में अकस्मात मृत्यु हो रही है, तो इसका कारण पित्तरों का श्राद्धवत तर्पण न होना होता है।
- यदि वंशवृद्धि नहीं हो रही है, तो इसका कारण पित्तरों की विस्मृति होता है।
- यदि भूमि की हानि हो रही है, तो इसका कारण पूर्वजों के द्वारा किये गए शुभ कामों की आपके द्वारा निंदा होती है।
- यदि रोजगार में परेशानी आ रही है, तो यह धर्म विरुद्ध आचरण पितृ दोष की श्रेणी में आता है।
- यदि मान-सम्मान में कमी हो रही है, तो यह गौ हत्या समरूप पितृदोष है।
- यदि लगातार बीमार रहते हैं, तो यह नदी/कूपजल में मलमूत्र विसर्जन पितृदोष है।
- यदि अपमान का सामना करना पड़ रहा है, तो यह अमावस्या संभोग पितृदोष का कारण है।
- यदि घर में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं होती है, तो यह भ्रूण हत्या पितृदोष का कारण है।
पितृ दोष निवारण के उपाय (Pitra Dosh Nivaran Ke Upay)
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रबल पितृ दोष हो तो उन्हें पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए। तर्पण मात्र से ही हमारे पितृ प्रसन्न होते हैं। वे हमारे घरों में आते हैं और हमको आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
यदि कुंडली में पितृ दोष हो तो इन सोलह दिनों में तीन बार एक उपाय करिए। सोलह बताशे लीजिए। उन पर दही रखिए और पीपल के वृक्ष पर रख आइये। इससे पितृ दोष में राहत मिलेगी। यह उपाय पितृ पक्ष में तीन बार करना है।
दूरदराज में रहने वाले, सामग्री उपलब्ध नहीं होने, तर्पण की व्यवस्था नहीं हो पाने पर एक सरल उपाय के माध्यम से पितरों को तृप्त किया जा सकता है। दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके खड़े हो जाइए। अपने दाएं हाथ के अंगूठे को पृथ्वी की ओर करिए। 11 बार पढ़ें ‘ऊं पितृदेवताभ्यो नम:। ऊं मातृ देवताभ्यो नम:।।’
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पितृ पक्ष में श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां
प्रतिपदा श्राद्ध- 10 सितंबर- जिनकी मृत्यु प्रतिपदा तिथि पर हुई थी इस दिन उनका श्राद्ध किया जाएगा है।
द्वितीया श्राद्ध- 11 सितंबर- जिनकी मृत्यु द्वितीया तिथि पर हुई थी इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
तृतीया श्राद्ध- 12 सितंबर- जिनकी मृत्यु तृतीया तिथि पर हुई थी इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
चतुर्थी श्राद्ध- 13 सितंबर- जिनकी मृत्यु चतुर्थी तिथि पर हुई थी इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
पंचमी श्राद्ध- 14 सितंबर- जिनकी मृत्यु पंचमी तिथि पर हुई थी इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
षष्ठी श्राद्ध- 15 सितंबर- जिनकी मृत्यु षष्ठी तिथि पर हुई थी इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
सप्तमी श्राद्ध- 16 सितंबर- जिनकी मृत्यु सप्तमी तिथि पर हुई थी इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
नोट- 17 सितंबर इस तिथि पर किसी का श्राद्ध नहीं किया जाएगा।
अष्टमी श्राद्ध- 18 सितंबर- जिनकी मृत्यु अष्टमी तिथि पर हुई थी इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
नवमी श्राद्ध- 19 सितंबर- जिनकी मृत्यु नवमी तिथि पर हुई थी इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
दशमी श्राद्ध- 20 सितंबर- जिनकी मृत्यु दशमी तिथि पर हुई थी इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
एकादशी श्राद्ध- 21 सितंबर- जिनकी मृत्यु एकादशी तिथि पर हुई थी इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
द्वादशी श्राद्ध- 22 सितंबर- जिनकी मृत्यु द्वादशी तिथि पर हुई थी इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
त्रयोदशी श्राद्ध- 23 सितंबर- जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि पर हुई थी इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
चतुर्दशी श्राद्ध- 24 सितंबर- जिनकी मृत्यु चतुर्दशी तिथि पर हुई थी इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
अमावस्या (समापन) श्राद्ध- 25 सितंबर- इस तिथि पर सर्वपितृ श्राद्ध किया जाता है।
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