Mangla Gauri Vrat Vidhi: शिव-पार्वती विवाह की अनेकों गाथाएं प्राचीन शास्त्रों में वर्णित की गई हैं। इन्हीं कथाओं के अनुसार मां पार्वती ने महादेव को वर रूप में पाने के लिए कई हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। इसी क्रम में उन्होंने मंगला गौरी व्रत भी रखा था। सावन माह में मंगलवार को किए जाने वाले व्रत को ही मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। इस प्रकार पहला मंगला गौरी व्रत 19 जुलाई को आ रहा है। ज्योतिषी एम. एस. लालपुरिया से जानिए इस व्रत को करने की विधि एवं महत्व के बारे में
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क्यों खास है मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां पार्वती द्वारा मंगला गौरी व्रत किए जाने से ही उन्हें भगवान शिव जैसा वर मिला था। अतः इस व्रत को सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण बताया गया है। इस व्रत को रखने से सुहागन स्त्रियों का सौभाग्य अखंड रहता है। यदि किसी के वैवाहिक जीवन में तनाव और उलझनें हों तो वह भी इस व्रत से दूर होती हैं। इसी प्रकार अविवाहित कन्याएं इस व्रत के द्वारा मनचाहा पति पाने की कामना करती हैं।
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ऐसे करें मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat Puja Vidhi)
सावन के प्रत्येक मंगलवार को सुबह जल्दी उठ कर स्नान आदि से निवृत्त हो लें। इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त में ही घर के मंदिर या किसी अन्य मंदिर में जाकर गणेश जी सहित शिव परिवार की पूजा करें। भगवान शिव का अभिषेक करें। महादेव-पार्वती को पुष्प, माला, फल, नैवेद्य, धूप, दीपक आदि अर्पित करें। उनका पूजन करें। पंचमेवा तथा सात प्रकार के धान्य भी पूजा में रखें।
इसके बाद मंगला गौरी व्रत की कथा सुनें और आरती के बाद प्रसाद को बांटें। स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें। यथासंभव गरीब लोगों को भोजन, वस्त्र, अन्न आदि दान करें। इस प्रकार व्रत करने से भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं और उन्हें समस्त सांसारिक सुख मिलते हैं।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।