अगर आप जानना चाहते हैं कि शादी लव होगी या अरेंज तो इसके लिए आपको अपनी जन्मकुंडली के लग्न चार्ट की आवश्यकता होगी। इसके लिए आप किसी भी एस्ट्रोलॉजी एप पर जाकर अपनी डेट ऑफ बर्थ, बर्थ टाइम और प्लेस डालकर इसे प्राप्त कर सकते हैं। जब उस एस्ट्रोलॉजी एप पर आपकी कुंडली खुल जाए तो आपके सामने एक लग्न चार्ट खुलकर आएगा। इस चार्ट में अलग-अलग नंबर लिखे होंगे। यहां नीचे आप फोटो में देख सकते हैं कि भावों की गिनती कैसे करते हैं।
कुंडली के हर भाव में कोई न कोई नंबर लिखा होगा, ये नंबर 1 से लेकर 12 तक होगा। ये नंबर राशियों के होते हैं। इनमें 1 नंबर मेष, 2 नंबर पर वृषभ, 3 नंबर पर मिथुन और कर्क राशि 4, सिंह राशि 5वें, कन्या राशि 6वें, तुला राशि 7वें, वृश्चिक राशि 8वें, धनु राशि 9वें, मकर राशि 10वें और कुंभ राशि 11वें व मीन राशि 12वें नंबर पर आती है। कुंडली के चार्ट में लिखे नंबर इन्हीं राशियों के होते हैं और इन राशियों का स्वामी उस भाव का मालिक होता है। जैसे पहले भाव मतलब लग्न भाव में जो भी नंबर लिखा होगा उस राशि के स्वामी को लग्नेश कहा जाएगा। ऐसे ही पांचवें भाव की राशि के स्वामी को पंचमेश कहा जाएगा।
राशियों के नंबर, नाम और उनके स्वामी ग्रह
राशि नंबर | राशि नाम | स्वामी ग्रह |
---|---|---|
1 | मेष (Aries) | मंगल |
2 | वृषभ (Taurus) | शुक्र |
3 | मिथुन (Gemini) | बुध |
4 | कर्क (Cancer) | चंद्रमा |
5 | सिंह (Leo) | सूर्य |
6 | कन्या (Virgo) | बुध |
7 | तुला (Libra) | शुक्र |
8 | वृश्चिक (Scorpio) | मंगल |
9 | धनु (Sagittarius) | बृहस्पति |
10 | मकर (Capricorn) | शनि |
11 | कुंभ (Aquarius) | शनि |
12 | मीन (Pisces) | बृहस्पति |

इस प्रकार देखें लव मैरिज का योग
विवाह और प्रेम के लिए लग्न चार्ट का पांचवां और सातवां भाव जिम्मेदार होता है। इसमें पांचवां भाव प्रेम और सातवां भाव विवाह का होता है। अगर इन दोनों भावों का आपस में संबंध हो, मतलब इन दोनों भावों के स्वामी एक-दूसरे को देख रहे हों, तो प्रेम विवाह की संभावना होती है। इसका मतलब ये है कि पांचवें भाव में जो भी नंबर लिखा है उस राशि का स्वामी आपके चार्ट के जिस भी भाव में बैठा है अगर वहां से एंटीक्लॉक वाइज गिनती करने पर सातवें नंबर पर 5वां या 7वां भाव आता है तो इसको माना जाएगा कि उसकी दृष्टि इन भावों पर पड़ रही है। जब गिनती करते हैं तो जिस भाव में ग्रह मौजूद होता है उसी से गिनती शुरू करते हुए आगे के छह भाव गिनते हैं।
उदाहरण- मान लीजिए किसी व्यक्ति की कुंडली के पहले भाव मतलब लग्न भाव में सिंह राशि (5) है। अब इस चार्ट के पांचवें भाव में धनु राशि (9) और सातवें भाव में कुंभ (11) आएगी। धनु राशि के स्वामी हैं बृहस्पति और कुंभ के शनि हैं। अब आपको देखना है कि चार्ट में ये दोनों ग्रह कहां पर मौजूद हैं।
अब मान लें कि बृहस्पति आपके प्रथम भाव में ही मौजूद हैं तो यहां से एंटीक्लॉकवाइज गिनना शुरू करें। पहले नंबर पर आप लग्न का भाव गिने फिर दूसरे पर दूसरा और इसी प्रकार से 7वां नंबर 7वें भाव पर ही आएगा। अब पांचवें भाव में बैठी राशि धनु के स्वामी बृहस्पति की सातवीं दृष्टि 7वें भाव पर पड़ रही है मतलब इस व्यक्ति का प्रेम विवाह हो जाएगा। ऐसे ही अगर सातवें भाव के स्वामी शनि अगर पांचवें भाव को देखेंगे तो भी प्रेम विवाह के योग बनेंगे।
कुंडली में इन योगों से भी होता है प्रेम विवाह
अगर 5वें भाव का स्वामी 7वें और 7वें का पंचम में हो तो भी प्रेम विवाह हो सकता है। शुक्र ग्रह भी प्रेम और विवाह का कारक है। पंचम भाव या सप्तम भाव में शुक्र है तो प्रेम विवाह में सफलता मिलेगी। वहीं, अगर यहां बैठे शुक्र पर शनि, राहु, केतु का प्रभाव या 7वीं दृष्टि हो तो ब्रेकअप होने और रिश्ता टूटने के चांस बन जाएंगे या रिलेशनशिप में कुछ समस्या आ सकती है।
हो सकती है इंटरकास्ट मैरिज
- सातवें भाव में राहु होने से इंटरकास्ट या इंटररिलीजन मैरिज की संभावना बढ़ जाती है। राहु और शुक्र एक साथ हों तो भी प्रेम विवाह होता है, लेकिन काफी मुश्किल से हो पाता है।
- अगर नवम भाव का स्वामी कमजोर स्थिति में हो, तो भी व्यक्ति प्रेम विवाह करने की कोशिश करता है। अगर लग्न या सप्तम भाव में चंद्रमा का संबंध हो तो भी व्यक्ति प्रेम विवाह की ओर आकर्षित होता है।
- सातवें भाव में शनि, मंगल या राहु हो तो विवाह देर से या दिक्कतों से होता है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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