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Kamika Ekadashi: 13 जुलाई को है कामिका एकादशी, श्रीहरि की पूजा से मिटेंगे सारे पाप और ताप

Kamika Ekadashi: शास्त्रों में एकादशी को भगवान विष्णु की प्रिय तिथि माना गया है। इस दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सावन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस समय भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं, ऐसे में इस एकादशी का महत्व और भी […]

Author Edited By : Sunil Sharma Updated: Feb 18, 2024 21:24
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Kamika Ekadashi: शास्त्रों में एकादशी को भगवान विष्णु की प्रिय तिथि माना गया है। इस दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सावन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस समय भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं, ऐसे में इस एकादशी का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। जानिए वर्ष 2023 में कामिका एकादशी कब है और किस प्रकार इस दिन श्रीहरि की पूजा करनी चाहिए।

कामिका एकादशी तिथि एवं मुहूर्त (Kamika Ekadashi Puja Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष कामिका एकादशी 13 जुलाई 2023 (गुरुवार) को आ रही है। एकादशी का आरंभ 12 जुलाई को सायं 5.59 बजे होगा तथा इसका समापन 13 जुलाई को सायं 6.24 बजे होगा। उदय तिथि की मान्यता होने के कारण एकादशी 13 जुलाई को ही मनाई जाएगी।

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पूजा के लिए यदि मुहूर्त की बात करें तो सुबह 5.41 बजे से 7.24 बजे तक शुभ का चौघड़िया रहेगा जबकि दोपहर 12.33 बजे से 2.15 तक लाभ का चौघड़िया रहेगा। इसी समय अभिजीत मुहूर्त भी है। इन दोनों ही शुभ मुहूर्तों में आप भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं।

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कैसे करें कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा (Kamika Ekadashi Puja Vidhi)

सुबह जल्दी उठ कर स्नान आदि से निवृत्त होकर आप गजानन गणपति का ध्यान करें। उनकी पूजा करें। तत्पश्चात् अपने ईष्टदेव को प्रणाम कर भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करें। उन्हें अक्षत, पुष्प, माला, चंदन तिलक, रोली, मौली, भोग, धूप, देसी घी का दीपक आदि अर्पित करें। उनकी पूजा कर आरती उतारें। प्रसाद को स्वयं भी ग्रहण करें तथा दूसरों को भी बांटें।

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क्या फल मिलता है कामिका एकादशी व्रत का

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति के पिछले जन्मों के सारे पाप नष्ट होते हैं। उन्हें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है तथा दुर्भाग्य का नाश होकर सौभाग्य मिलता है। एकादशी व्रत करने वाले ऐसे भक्त मृत्यु पश्चात भगवान विष्णु के निज धाम बैकुंठ लोक में जाकर ईश्वर में ही लीन हो जाते हैं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

(http://rxreviewz.com/)

First published on: Jul 12, 2023 12:07 PM

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