Hanumanji Ke Upay: रामभक्त हनुमानजी को कलियुग का साक्षात जागृत देव कहा गया है। वर्तमान समय में उनकी आराधना जितनी जल्दी अपना प्रभाव दिखाती है, उतना किसी अन्य देवता की नहीं। सबसे बड़ी बात, बजरंग बली को प्रसन्न करने के लिए किसी प्रकार के तंत्र-मंत्र या कठोर नियम-साधनों की आवश्यकता नहीं होती है। वरन् आपको केवल सुंदरकांड का पाठ अथवा राम नाम के जप से भी आप उन्हें अपने अनुकूल बना सकते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित रामदास से जानिए ऐसे ही एक उपाय के बारे में
शास्त्रों के अनुसार गोस्वामी तुलसीदासकृत श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ करना हर तरह से शुभ माना गया है। आप किसी भी बड़े से बड़े संकट में फंसे हुए हों, कैसा भी रोग, शोक या दुख हो, सभी को नष्ट करने की सामर्थ्य इस सुंदरकांड़ के पाठ में है। हालांकि इसके लिए आपको विधिवत संकल्प लेकर पाठ करना होगा। जानिए इसकी पूरी विधि के बारे में
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ऐसे करें सुंदरकांड का पाठ (Hanumanji Ke Upay)
किसी भी माह के मंगलवार या शनिवार को आप इस प्रयोग को आरंभ कर सकते हैं। यदि आप मंगलवार को कर रहे हैं तो सुबह के समय प्रयोग करना है, इसी प्रकार यदि शनिवार को प्रयोग आरंभ करना है तो आपको रात्रि 9 बजे बाद प्रयोग आरंभ करना है। आप सर्वप्रथम स्नान आदि कर स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करें। इसके बाद किसी मंदिर अथवा अपने घर के पूजास्थल में आसन पर बैठ कर गणपति की पूजा करें। तत्पश्चात राम दरबार, शिव परिवार तथा हनुमानजी की पूजा करें। उन्हें लाल पुष्प, माला, देसी घी का दीपक, धूप बत्ती, फल, नैवेद्य तथा प्रसाद अर्पित करें।
अब हनुमानजी का आह्वान कर उन्हें अपना कष्ट बताते हुए सुंदरकांड का पाठ करने की मन ही मन अनुमति मांगे। इसके बाद पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ आप सुंदरकांड का पाठ करें। सुंदरकांड का पाठ करने के बाद यथासंभव राम नाम का जप करें। यदि कम से कम दस माला जप कर सकें तो सर्वोत्तम होगा। इसके बाद प्रतिदिन उसी समय पर सुंदरकांड का पाठ तब तक करते रहें, जब तक आपकी समस्या का निराकरण न हो जाएं। इस प्रयोग से बहुत जल्द आपके कष्ट दूर होंगे।
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सुंदरकांड के पाठ में ध्यान रखें ये नियम
वैसे तो हनुमानजी की साधना सात्विक तथा तुरंत फल देने वाली मानी गई है जिसमें खास नियमों की जरूरत नहीं होती है। फिर भी कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य माना गया है। इन नियमों की पालना के बिना आप कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाएंगे। ये नियम इस प्रकार हैं
- कभी भी, किसी दूसरे का बुरा करने की इच्छा से हनुमानजी की साधना न करें। ऐसा करने पर साधक को बुरा परिणाम भी भुगतना पड़ सकता है।
- प्रयोग के दौरान पूर्ण बह्मचर्य से रहें, केवल अपनी पत्नी के साथ ही गृहस्थ धर्म का पालन करें। अन्य सभी महिलाओं को मां, बहन और पुत्री की दृष्टि से देखें।
- किसी भी लाचार, बीमार, गरीब, या किस्मत के मारे का अपमान न करें। नारी, बुजुर्गों, भिखारियों की यथासंभव सहायता करें।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।