Drug Addiction Remove Tips in Hindi: नशा इंसान का दुर्गुण है। कहते हैं यह इंसान को बर्बाद कर देता है। बर्बादी शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तीनों ही प्रकार से हो सकती है। ऐसा देखा जाता है कि नशा में डूबा हुआ व्यक्ति माता-पिता की संपत्ति या खुद की कमाई को भी धीरे-धीरे नष्ट करता चला जाता है। जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति आर्थिक संकटों से घिर जाता है।
शायद इसी वजह से बड़े-बुजुर्ग सलाह देते हैं कि व्यक्ति को नशा से दूर रहना चाहिए। हालांकि कई बार ग्रहों के अशुभ प्रभाव से भी व्यक्ति ऐसा करने लगता है। आज हम आपको नशा को दूर करने के लिए कुछ उपाय बताने जा रहे हैं, जो आपके लिए भी मददगार हो सकता है। पं.सुरेश पाण्डेय के मुताबिक, कुछ उपाय को करने से नशे की लत से छुटकारा पाया जा सकता है। आइए जानते हैं कि नशे की लत से छुटकारा पाने के लिए क्या करना अच्छा रहेगा।
शराब की लत को छुड़ाने के लिए उपाय कैसे करें?
पंडित सुरेश पाण्डेय के अनुसार, नशे की लत को दूर करने के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना बेहद मददगार साबित हो सकता है। पंडित जी के अनुसार, दुर्गा सप्तशती के सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ सुबह या शाम किसी भी समय कर सकते हैं। पाठ करने के लिए मां दुर्गा की तस्वीर के सामने तिल के तेल का एक दीपक जलाएं। इसके बाद सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना शुरू करें।
शनिवार के दिन इस पाठ को पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर करें। पंडित सुरेश पाण्डेय के अनुसार, सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ लगातार 6 महीने तक करने पर शराब के नशे से छुटकारा मिल जाता है। इतना ही नहीं, पंडित जी कहते हैं कि इस उपाय को 3 साल तक लगातार करने से इंसान का दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है।
शराब की लत को छुड़ाने का उपाय
सिद्धकुंजिका स्तोत्र
।।शिव उवाच।।
श्रृणु देवि ! प्रवक्ष्यामि, कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्र प्रभावेण, चण्डी जापः शुभो भवेत।।
न कवचं नार्गला-स्तोत्रं, कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च, न न्यासो न च वार्चनम्।।
कुंजिका पाठ मात्रेण, दुर्गा पाठ फलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि ! देवानामपि दुलर्भम्।।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठ मात्रेण संसिद्धयेत् कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम्।।
मन्त्र –
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।
नमस्ते रूद्र रुपिण्यै, नमस्ते मधु-मर्दिनि।
नमः कैटभ हारिण्यै, नमस्ते महिषार्दिनि।।
नमस्ते शुम्भ हन्त्र्यै च, निशुम्भासुर घातिनि।
जाग्रतं हि महादेवि जप ! सिद्धिं कुरूष्व मे।।
ऐं-कारी सृष्टि-रूपायै, ह्रींकारी प्रतिपालिका।
क्लींकारी काल-रूपिण्यै, बीजरूपे नमोऽस्तु ते।।
चामुण्डा चण्डघाती च, यैकारी वरदायिनी।
विच्चे चा ऽभयदा नित्यं, नमस्ते मन्त्ररूपिणि।।
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नीः, वां वीं वागधीश्वरी तथा।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ।।
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्र सिद्धिं कुरुष्व मे॥
।।फल श्रुति।।
इदं तु कुंजिका स्तोत्रं मन्त्र-जागर्ति हेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं, गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देवि ! हीनां सप्तशती पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
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डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।