Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीति विश्व में प्रसिद्ध है। जो व्यक्ति चाणक्य की नीति को समझकर अपने जीवन में उतार लेता है, उसे असफलता का मुंह नहीं देखना पड़ता। यही वजह है कि आज भी चाणक्य की नीति को लोग शिरोधार्य करते हैं। आचार्य चाणक्य ने श्लोक के माध्यम से कहा है कि सात सोए हुए व्यक्ति को तुरंत जगा देना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से सोए हुए व्यक्ति का भला हो सकता है। चलिए अब चाणक्य नीति में वर्णित श्लोक के माध्यम से यह जानते हैं कि किन सात लोगों को सोते हुए देखकर जगा देना चाहिए।
विद्यार्थी सेवकः पान्थः, क्षुधार्तो भयकातरः, भण्डारी प्रतिहारी च, सप्त सुप्तान् प्रबोधयेत्।
उपरोक्त श्लोक के माध्यम से चाणक्य ने यह समझाने की कोशिश की है कि सात लोग जब सो रहे हों तो जगा देना चाहिए। हलांकि इस श्लोक के माध्यम से चाणक्य के कहने का भाव यह कतई नहीं है कि मध्य रात्रि में भी जगा दें। यहां चाणक्य के कहने का भाव है कि जब ये सात प्रकार के लोग अपने कर्तव्य के प्रति असावधान हों तो उन्हें बिना और कुछ विचार किए जगा देना चाहिए। यानी जब इन सात लोगों को नहीं सोना चाहिए, तब अगर ये सो रहें हो तो इन्हें जगाने में संकोच नहीं करना चाहिए।
कौन हैं ऐसे सात लोग
विद्यार्थी: चाणक्य कहते हैं कि विद्यार्थी अगर पढ़ाई के दौरान सोया हुआ नजर आए तो उसे तुरंत जगा देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि विद्यार्थी अगर पढ़ने के क्रम में सो जाए तो वह विद्या अर्जित करने के वंचित रह जाएगा। ऐसे में उसे सोए हुए देखकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
सेवक- जो किसी की सेवा में है और उस दौरान वह सो रहा हो तो अविलंब उन्हें जगा देना चाहिए। मतलब यह है कि अगर कोई अपने कर्तव्य को भूलकर ऐसा कर रहा हो तो उसे जगाने में तनिक भी देर नहीं करना चाहिए, क्योंकि अगर वह अपने कार्य के दौरान सो जाएगा तो भरी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
पथिक (यात्री)
श्लोक के माध्यम से चाणक्य आगे कहते हैं कि जो पथिक (यात्री) है और वह अपनी यात्रा के क्रम में सो रहा हो तो जगा देना चाहिए क्योंकि कई बार ऐसा देखा गया है कि रेलवे स्टेशन पर कई लोग सो जाते हैं, परिणामस्वरूप उनकी ट्रेन छूट जाती है या उसका सामान चोरी हो जाता है। इसलिए पथिक अगर सो रहा हो तो उसे तुरंत जगा देना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि आपके ऐसा करने से वह अपने गंतव्य को सही समय पर पहुंच जाए।
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क्षुदार्थी- क्षुदार्थी यानी जो भूख से पीड़त होकर सो जाए तो उसे जगा देना चाहिए। वैसे तो भूख से पीड़ित को नींद नहीं आती है फिर भी अगर वह किन्हीं कारणों से रोता-बिलखता हुए सो जाए तो उसे न सिर्फ जगा देना चाहिए बल्कि भोजन भी प्रदान करना चाहिए ताकि उसकी क्षुधा यानी भूख शांत जो जाए।
भयकातर- भयकातर (जो नींद में सपना देखने के क्रम में डर जाए) को भी जगा देना चाहिए क्योंकि भयकातर को जगा देने से उसका डर खत्म हो जाएगा।
भाण्डारी- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भाण्डारी (भंडार का अधिकारी) अगर सोया हुआ नजर आए तो उसे तत्काल जगा देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि भंडार की सुरक्षा के दौरान सो जाएगा तो अप्रिय घटना हो सकती है। चाणक्य कहते हैं कि फिर चाहे भंडार अन्न, धन या अन्य किसी अन्य चीज का ही क्यों न हो।
प्रतिहारी- चाणक्य नीति कहती है प्रतिहारी (द्वार पाल यानी गार्ड, सुरक्षा कर्मचारी) अगर सो रहा हो तो उसे तुरंत जगा देना चाहिए, क्योंकि अगर द्वार पाल सो जाए तो चोरी हो सकती है या सुरक्षा में बड़ी चूक हो सकती है। साथ ही उसकी नौकरी भी जा सकती है। ऐसे में चाणक्य कहते हैं, जो ऐसे सोए हुए को जगाए वह उसका हितकारी (शुभचिंतक) कहा जाएगा।
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