मां महागौरी की महिमा
मान्यताओं के मुताबिक देवी के रुप में माता ने कठोर तप से गौर वर्ण प्राप्त किया था। महागौरी करुणामयी, स्नेहमयी, शांत तथा मृदुल स्वभाव वाली हैं। चार भुजाओं वाली देवी महागौरी त्रिशूल और डमरू धारण करती हैं। दो भुजाएं अभय और वरद मुद्रा में रहती हैं। इन्हें धन ऐश्वर्य प्रदायिनी, शारीरिक मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माना गया है।
मां महागौरी पूजा विधि
- प्रात: स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- मां को सफेद रंग पसंद है इसलिए मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें।
- मां को सफेद पुष्प अर्पित करें।
- मां को रोली कुमकुम लगाएं।
- मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें।
मां को ये भोग लगाएं
मां शक्ति के इस स्वरूप की पूजा में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है। आज के दिन काले चने का प्रसाद विशेषरूप से बनाया जाता है।
मां महागौरी मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
बीज मंत्र- श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
प्रार्थना मंत्र- श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
मां महागौरी पूजा और व्रत का महत्व
- विवाह में आ रही समस्याएं दूर होती है।
- मां की कृपा से मनपंसद जीवनसाथी मिलता है।
- मां महागौरी की अराधना से सभी संकट दूर होते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है।
- जीवन में सुख-समृद्धि के साथ सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है।
डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।