अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के क्लीन वॉटर स्टार्टअप ग्रेडिएंट के सीईओ अनुराग बाजपेयी को एक गंभीर मामले में गिरफ्तार किया गया है। अनुराग बाजपेयी को अमेरिका में हाई-एंड ब्रोथेल से जुड़े एक कथित रैकेट मामले में गिरफ्तार किया गया है। न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बाजपेयी पर कई गंभीर आरोप हैं।
51 हजार रुपये प्रति घंटे किया गया भुगतान
जांच में खुलासा हुआ है कि कथित तौर पर अनुराग बाजपेयी उन 30 से अधिक डॉक्टरों, वकीलों और सरकारी अधिकारियों में से एक हैं, जिनका नाम इस स्कैंडल के सिलसिले में अदालती दस्तावेजों में दर्ज है। इन हाई-एंड क्लाइंट्स ने कथित रूप से 600 डॉलर (51 हजार रुपये) प्रति घंटे तक का भुगतान किया। कहा जा रहा है कि ये महिलाएं ज्यादातर एशियाई थीं और तस्करी की शिकार थीं। आरोपियों की इस सूची में डॉक्टर, वकील, सरकारी अधिकारी, ठेकेदार और सीईओ जैसे हाई-प्रोफाइल लोग शामिल हैं।
कंपनी ने बाजपेयी पर जताया भरोसा
कुछ कर्मचारियों द्वारा बाजपेयी के इस्तीफे की मांग के बावजूद, उनकी कंपनी ग्रैडिएंट उनके साथ खड़ी रही। बाजपेयी की कंपनी ग्रेडिएंट ने उनपर लगे आरोपों के बावजूद उनके समर्थन में बयान जारी किया है। कंपनी ने कहा, ‘हमें न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है और हमें विश्वास है कि यह मामला उचित ढंग से हल होगा। इसके बावजूद, ग्रेडिएंट अपनी तकनीकी इनोवेशन की राह पर कायम रहेगा और स्वच्छ जल की उपलब्धता के अपने मिशन को जारी रखेगा।’
कौन हैं अनुराग बाजपेयी?
अनुराग बाजपेयी ग्रैडिएंट के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। ग्रैडिएंड बोस्टन स्थित एक कंपनी है, जो क्लीन वॉटर, एडवांस वॉटर और वॉटर वेस्ट ट्रीटमेंट सॉल्यूशंस के रूप में जानी जाती है। भारत में जन्मे बाजपेयी क्लीनटेक इंडस्ट्री में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में उभरे हैं। बाजपेयी ने 2013 में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से निकले ग्रैडिएंट एक ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कंपनी की नेटवर्थ 1 बिलियन डॉलर से अधिक है।
यूपी के लखनऊ से हासिल की प्रारंभिक शिक्षा
बाजपेयी ने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से पीएचडी की है और वहीं से यह कंपनी एक स्पिनआउट के तौर पर शुरू हुई थी। ग्रेडिएंट अब 25 से अधिक देशों में काम कर रही है और इसकी सेवाएं 2,500 से ज्यादा उद्योगिक इकाइयों में मौजूद हैं। अनुराग ने लखनऊ के ला मार्टिनियर कॉलेज से प्रारंभिक शिक्षा ली। इसके बाद यूनिवर्सिटी ऑफ मिसौरी-कोलंबिया से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। MIT से 2008 में मास्टर ऑफ साइंस और फिर 2012 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनकी रिसर्च ने साइंटफिक अमेरिकन जैसी पत्रिका में जगह बनाई और उनके तकनीकी इनोवेशन को ‘दुनिया बदलने वाले टॉप 10 विचारों’ में से एक के रूप में मान्यता दी गई।