H-1B Visa Policy: अगर आपका सपना अमेरिका जाकर बड़ी टेक कंपनियों में काम करने का है, तो यह खबर आपके लिए मायूस कर देने वाली हो सकती है। अमेरिका ने H-1B वीज़ा को लेकर नया सख्त कदम उठाया है, जिससे भारतीय पेशेवरों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सरकार अब उन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी, जो विदेशी कर्मचारियों को अमेरिकी नागरिकों से ज्यादा प्राथमिकता देती हैं। इससे लाखों भारतीय IT और मेडिकल प्रोफेशनल्स का भविष्य प्रभावित हो सकता है। क्या यह फैसला भारतीयों के लिए नए अवसरों के दरवाजे बंद कर देगा? आइए जानते हैं पूरी खबर।
H-1B वीजा पर सख्ती की चेतावनी
अमेरिका में H-1B वीजा को लेकर बड़ा फैसला हुआ है। अमेरिकी सरकार की संस्था Equal Employment Opportunity Commission (EEOC) ने 19 फरवरी 2025 को कंपनियों को चेतावनी दी है कि वे विदेशी नागरिकों को अमेरिकी नागरिकों से ज्यादा महत्व न दें। यह कदम उन मामलों की जांच के लिए उठाया गया है, जहां कंपनियां अमेरिकी लोगों की बजाय विदेशियों को नौकरी देने को प्राथमिकता देती हैं। EEOC की कार्यवाहक अध्यक्ष एंड्रिया लुकास ने कहा कि कई उद्योगों में राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव हो रहा है। अब अमेरिकी सरकार उन कंपनियों और स्टाफिंग एजेंसियों पर सख्त कार्रवाई करेगी, जो इस नियम का पालन नहीं करेंगी।
Tech companies can pay H1B visa holders less than Americans.
Most H1B visas are Indian.
---विज्ञापन---Americans, like the engineers at Disney 8 years ago, have experience being replaced.
Indians are explicitly gloating about taking over. https://t.co/3GGJvzRdm2 pic.twitter.com/aFSgiRfcEZ
— Jeet Sidhu (@jeetsidhu_) December 25, 2024
H-1B वीजा और उससे जुड़ा विवाद
H-1B वीजा एक प्रोग्राम है, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियां तकनीक, इंजीनियरिंग और मेडिकल साइंस जैसे क्षेत्रों में विदेशी लोगों को नौकरी दे सकती हैं। लेकिन इस वीजा को लेकर कई बार विवाद भी होते रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ कंपनियां विदेशी लोगों को इसलिए ज्यादा प्राथमिकता देती हैं क्योंकि उनकी सैलरी कम होती है, वे श्रम कानूनों के बारे में कम जानते हैं और उन्हें आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। Meta पर भी ऐसा आरोप लगा था कि वह अमेरिकी नागरिकों की जगह वीजा धारकों को ज्यादा मौके दे रही थी, जिसके कारण उस पर मुकदमा हुआ था।
H-1B वीजा पर सख्त नियमों का असर
H-1B वीजा को लेकर ट्रंप और बाइडेन सरकार ने कई सख्त नियम लागू किए हैं। अब कंपनियों की गहराई से जांच हो रही है और वेतन से जुड़े नियम भी बदले जा रहे हैं। इस नए फैसले का सबसे ज्यादा असर भारतीय लोगों पर पड़ सकता है। अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच अमेरिका ने जो भी H-1B वीजा जारी किए, उनमें से 72.3% भारतीयों को मिले थे। अगर इस वीजा पर और सख्त नियम लगाए गए, तो अमेरिका में नौकरी पाने का सपना देखने वाले भारतीयों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
अमेरिका के लिए H-1B वीजा क्यों जरूरी है?
कानूनी विशेषज्ञ जिदेश कुमार का कहना है कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था को H-1B वीजा की जरूरत है, क्योंकि कई अहम सेक्टर में वहां के नागरिकों की कमी है। अगर अमेरिका इस वीजा के नियम कड़े करेगा, तो लोग कनाडा, यूके जैसे देशों में जाने लगेंगे। इससे अमेरिका की तकनीकी और आर्थिक बढ़त को नुकसान हो सकता है। अगर नियम और कड़े हुए, तो भारतीय IT और मेडिकल प्रोफेशनल्स को अमेरिका की बजाय दूसरे देशों में नौकरी ढूंढनी पड़ सकती है।