अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने अपने वीजा रूल्स को और ज्यादा सख्त बना दिया है. इसको लेकर अमेरिका ने अपने सभी दूतावास अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं. अब फैक्ट-चेकिंग, कंटेंट मॉडरेशन, कंप्लायंस और ऑनलाइन सेफ्टी से जुडा काम कर चुके लोगों को वीजा नहीं दिया जाएगा. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अमेरिकी विदेश विभाग के एक मेमो के हवाले से यह जानकारी दी है.
क्या दिए गए हैं निर्देश
दूतावास के अधिकारियों को इन सेक्टर्स से जुड़े लोगों के वीजा एप्लिकेशन रिजेक्ट करने के निर्देश दिए गए हैं. 2 दिसंबर को अमेरिका ने अपनी सभी दूतावास को ये निर्देश दिए थे. इसमें ज्यादा फोकस H-1B वीजा एप्लिकेशन पर था. कहा गया है कि कोई भी वीजा के लिए एप्लाई करता है तो उनका रिज्यूम या लिंक्डइन प्रोफाइल जरूर चेक करें. एप्लिकेंट के साथ-साथ उसके परिवार के सदस्यों की भी प्रोफाइल चेक की जाए. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनमें से किसी ने फैक्ट चेक, कंटेंट मॉडरेशन, कंप्लायंस या ऑनलाइन सेफ्टी के फिल्ड में तो काम नहीं किया है.
ये निर्देश पत्रकारों और पर्यटकों समेत सभी कैटेगरी के वीजा पर लागू होंगे. हालांकि, इसका ज्यादा असर H-1B कैटेगरी के वीजा पर पड़ेगा. H-1B वीजा टेक्नोलॉजी और दूसरे सेक्टर से जुड़े स्किल्ड वर्कर को दिया जाता है. इस कैटेगरी में सबसे ज्यादा भारतीयों का दबदबा है.
भारतीयों पर कैसे पड़ेगा असर
यूएस सिटीजनशिप एंड इमिग्रेशन सिस्टम ने साल 2024 का H-1B वीजा से जुड़ा एक आंकड़ा जारी किया था. इस आंकड़ों में बताया गया था कि किस देश के कितने नागरिकों ने यह वीजा लिया है. इसमें सबसे ज्यादा भारतीय थे. करीब 70 फीसदी वीजा भारतीयों को जारी किए गए थे. बता दें, टेक्नोलॉजी और हेल्थ सेक्टर में काफी संख्या में भारतीय, अमेरिका में काम करते हैं. अमेरिका के कुल डॉक्टरों में छह फीसदी भारतीय हैं. इसके अलावा गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, और आईबीएम जैसी बड़ी टेक कंपनियों को भी भारतीय मूल के अधिकारी चलाते हैं.
यह आंकड़ा दिखाता है कि आईटी, सॉफ्टवेयर और डेटा सेक्टर में भारतीयों की कितनी डिमांड है. लेकिन अब इन सेक्टर में काम करने वाले लोगों के लिए अमेरिका का वीजा लेना आसान नहीं होगा.










