US Sanctions Indian Companies: अमेरिका ने ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों के कारोबार में शामिल होने की वजह से भारत की कई कंपनियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। ट्रंप प्रशासन द्वारा की गई इस कार्रवाई से लगभग 6 भारतीय कंपनियों पर असर देखने को मिल सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का मानना है कि ये अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन है।
बुधवार को हुई घोषणा
बता दें कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा इन प्रतिबंधों की घोषणा बुधवार को की गई थी। उन्होंने यह आरोप लगाया है कि भारतीय कंपनियों ने जानबूझकर ईरानी पेट्रोलियम उत्पाद की खरीद और मार्केटिंग के लिए लेनदेन की गतिविधियों को बढ़ाया है। प्रतिबंधित कंपनियों में देश के कुछ मुख्य पेट्रोकेमिकल व्यापारी भी शामिल है। दरअसल, अमेरिका इस समय ईरान के खिलाफ अधिकतम दबाव की नीति से काम कर रहा है।
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कौन-कौन सी कंपनियां शामिल हैं?
1.अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (Alchemical Solutions Pvt. Ltd)- अमेरिका द्वारा सबसे बड़ा आरोप इस कंपनी पर लगाया गया है। इस कंपनी पर 2024 में जनवरी और दिसंबर के बीच 84 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक दामों के ईरानी तेल उत्पादों का आयात करने का इलजाम लगाया गया है।
2.ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड (Global Industrial Chemicals Ltd)- इस कंपनी पर जुलाई 2024 में जुलाई महीने में आरोप लगाया गया था कि इन्होंने तकरीबन 51 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के मूल्यों के मेथनॉल और ईरानी पेट्रोकेमिकल के उत्पादों को खरीदा था।
3.जुपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड (Jupiter Dye Chem Pvt. Ltd)- ये कंपनी कथित तौर पर 49 मिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा के मूल्य के टोल्यूनि समेत कई ईरानी उत्पादों का आयात कर चुकी है। कंपनी पर ये आरोप भी 2024 में लगाया गया था।
4.रमणिकलाल एस गोसालिया एंड कंपनी (Ramaniklal S Gosalia & Co)- इस कंपनी पर भी मेथनोल और टोल्यूनि समेत कई ईरानी पेट्रोकेमिकल्स को 22 मिलियन अमेरिकी डॉलर में खरीदने का आरोप लगा है।
5.परसिस्टेंट पेट्रोकेम प्रा. लिमिटेड (Persistent Petrochem Pvt. Ltd.)- इस कंपनी पर कथित तौर पर आरोप लगाया है कि इन्होंने अक्टूबर से दिसंबर 2024 के बीच 14 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ईरीन पेट्रोकेमिकल्स का आयात किया है।
6.कंचन पॉलिमर्स (Kanchan Polymers)- इस कंपनी पर 1.3 मिलियन डॉलर से ज्यादा के ईरानी पॉलीथीन प्रोडक्ट्स खरीदने का आरोप लगाया गया है।
कंपनियों पर बैन लगने से भारत पर क्या असर होगा?
- ट्रंप सरकार द्वारा प्रतिबंधित कंपनियां अब अमेरिका के साथ किसी भी तरह का व्यापार नहीं कर पाएंगी। ऐसे उनका अंतर्राष्ट्रीय बाजार में नुकसान होगा। ये कंपनियां मल्टीनेशनल सप्लाई चेन का हिस्सा है, इस वजह से इनकी विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े होंगे।
- कंपनियों पर प्रतिबंध लगने से वित्तीय नुकसान होना तय है। इससे विदेशी फंडिंग, पार्टनरशिप और फ्रॉड होने की संभावनाएं बढ़ती हैं। पेट्रोकेमिकल सेक्टर में अनिश्चितता बढ़ सकती है, खासकर उन कंपनियों के लिए जो अब तक ईरान के साथ व्यापार कर रही हैं।
- इससे भारत और अमेरिका के संबंधों में भी तनाव पैदा हो सकता है। भारत अमेरिका और ईरान के बीच संतुलन बनाए रखने में मुश्किल का सामना कर सकता है।
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