US Department of War: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रक्षा विभाग (Department of Defence) पेंटागन का नाम बदलकर युद्ध विभाग (Department of War) कर दिया है। इससे जुड़े कार्यकारी आदेश पर बीते दिन राष्ट्रपति ट्रंप ने हस्ताक्षर भी कर दिए और साइन होते ही आदेश को लागू भी कर दिया गया। अब पेंटागन को ‘युद्ध विभाग’ के नाम से जाना जाएगा। ऑर्डर साइन करते समय उनके साथ अमेरिका के युद्ध सचिव पीट हेगसेथ और जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ डैन केन भी दिखे।
#WATCH | President Donald J. Trump signs an Executive Order officially restoring the name "Department of War" to the Department of Defense.
(Source: The White House/ YouTube) pic.twitter.com/yl732N5UUI---विज्ञापन---— ANI (@ANI) September 5, 2025
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए लिया फैसला
बता दें कि विभाग का नाम बदलने के आदेश पर साइन करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ने पहले और दूसरे विश्व युद्ध जीते और एक बार फिर अमेरिका इसके लिए तैयार है। इसलिए रक्षा विभाग का नाम बदलकर ‘युद्ध विभाग’ कर दिया है। वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए यह नाम काफी सही है। पहले विभाग का नाम युद्ध विभाग ही था, लेकिन 1949 में नाम बदलकर रक्षा विभाग किया गया थ। विभाग का हेड ऑफिस पेंटागन में है और इसका नेतृत्व रक्षा सचिव करते हैं।
जॉर्ज वाशिंगटन ने की थी विभाग की स्थापना
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि रक्षा विभाग का नाम बदलने का मकसद अमेरिका के दुश्मनों और सहयोगियों को जीत और ताकत का संदेश देना है। एक तरह से विभाग की पुनर्स्थापना है। युद्ध विभाग को पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन ने गठित किया था। 1949 में राष्ट्रपति रहे हैरी ट्रूमैन ने 1947 में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम साइन करके नौसेना विभाग, वायु सेना विभाग और सेना विभाग को मिलाकर एक विभाग युद्ध विभाग बनाया, जिसका नाम बदलकर अगस्त 1949 में रक्षा विभाग कर दिया गया।
क्या है अमेरिका के युद्ध विभाग का नाम?
अमेरिका का युद्ध विभाग देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होगा और देश की सैन्य गतिविधियों का प्रबंधन करेगा। विभाग का काम अमेरिका की रक्षा नीतियों को लागू करना और देश केा बाहरी खतरों से बचाना है। अमेरिका की सेना, नौसेना, वायु सेना, मरीन कॉर्प्स और अंतरिक्ष सेना को मैनेज और एग्जीक्यूट करना है। युद्ध, शांति स्थापना और आपदा प्रबंधन के लिए रणनीति बनाकर एग्जीक्यूट करना है। सैन्य उपकरणों, हथियारों और डेफेंस टेक्नोलॉजी को लेकर रिसर्च करना, निर्माण करना और खरीद फरोख्त करना है। राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित खुफिया जानकारी जुटाकर विश्लेषण करना है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सैन्य गठबंधन और सहयोग को बढ़ावा देना है। सैन्य बलों के लिए बजट और संसाधनों का प्रबंधन करना एवं ट्रेनिंग की व्यवस्था करना है।