थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद को लेकर युद्ध चल रहा है। कंबोडिया का आरोप है कि सीमा पर स्थित ऐतिहासिक और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल प्रीह विहियर मंदिर (शिव मंदिर) को काफी नुकसान पहुंचा है। थाईलैंड ने शिव मंदिर के कई हिस्सों पर हमला कर उसे क्षतिग्रस्त करने का प्रयास किया है। वहीं थाईलैंड ने कंबोडिया के इस दावे को नकार दिया है। थाईलैंड सेना प्रवक्ता का कहना है कि मंदिर को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया गया था। कंबोडिया गलत आरोप लगा रहा है।
थाई एफ-16 लड़ाकू विमानों से की बमबारी
कंबोडिया मंत्रालय का कहना है कि थाई एफ-16 लड़ाकू विमानों से प्रीह विहियर मंदिर (शिव मंदिर) पर बमबारी की गई है। थाईलैंड ने जानबूझकर प्रीह विहियर मंदिर को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है। बमबारी से मंदिर के कई हिस्सों को भारी नुकसान पहुंचा है। उनका कहना है कि ये मंदिर कंबोडियाई संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। कंबोडियाई संस्कृति मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत न्याय की मांग की है। जबकि थाईलैंड ने कंबोडिया के आरोपों को गलत बताया है।
🕉️ थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 1000 साल पुराने भगवान शिव को समर्पित हिंदू मंदिर के लिए युद्ध भड़क चुका है!
अब तक इस संघर्ष में 10 नागरिकों और कई सैनिकों की मौत हो चुकी है।
---विज्ञापन---हालात इतने बिगड़ गए है कि थाईलैंड ने F-16 लड़ाकू विमान भी तैनात कर दिए हैं।#ThailandCambodia #ไทยกัมพูชา pic.twitter.com/nnRB9RcVxQ
— The Tathya (@TheTathya_) July 25, 2025
मंदिर को नहीं बनाया निशाना
थाई सेना प्रवक्ता का कहना है कि कंबोडिया द्वारा लगाए गए आरोप गलत हैं। उन्होंने मंदिर को किसी भी तरह से निशाना नहीं बनाया है। थाई सेना कंबोडिया सेना को निशाना बनाकर हमला कर रही है। वे न तो मंदिर को निशाना बना रहे हैं और न ही वहां के नागरिकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। थाई सेना प्रवक्ता का कहना है कि कंबोडिया इस तकरार को कोई दूसरा रूप देने का प्रयास कर रहा है, लेकिन वो ऐसा नहीं होने देंगे। अपनी सीमा को लेकर उनकी तरफ से हमले जारी रहेंगे।
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जानिए क्या है शिव मंदिर विवाद?
दरअसल थाईलैंड और कंबोडिया बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं। इन देशों की सीमा पर प्रीह विहार मंदिर है। ये एक हिंदू मंदिर है। इसे भगवान शिव का मंदिर माना जाता है। दोनों ही देश इस मंदिर को अपनी सीमा पर बताते हैं। जबकि अधिकारियों रूप से इसे कंबोडिया के क्षेत्र में माना जाता है। यूनेस्को की ये धरोहर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर को 11वीं शताब्दी बनाया गया था। इसका इतिहास 9वीं शताब्दी से जुड़ा है। मान्यता है कि मंदिर का निर्माण खमेर साम्राज्य के राजा यशोवर्मन प्रथम के दौरान हुआ था। इसके बाद दूसरे राजाओं ने इसका निर्माण कार्य पूरा कराया।