Sleeping Prince Brain Injury Inside Story: सऊदी अरब के स्लीपिंग प्रिंस के नाम से मशहूर राजकुमार ‘अल वलीद बिन खालिद’ ने 19 जुलाई को अंतिम सांस ली। आज उनका अंतिम संस्कार होगा। उन्हें रियाद में इमाम तुर्की बिन अब्दुल्ला मस्जिद में प्रार्थना के बाद सुपुर्दे-खाक किया जाएगा। इस बारे में उनके पिता, प्रिंस खालिद बिन तलाल अल सऊद, ने खुद एक्स पर पोस्ट कर बताया है।
बता दें कि प्रिंस अल वलीद का साल 2005 में महज 15 साल की उम्र में भीषण रोड एक्सीडेंट हुआ था, जिसके बाद उन्हें अमेरिका में प्राथमिक इलाज दिया गया और फिर सऊदी शिफ्ट करवाया गया। इस एक्सीडेंट में प्रिंस के सिर पर गंभीर चोट लगी थी, जिस वजह से वे पिछले 20 सालों से कोमा में थे। एक्सीडेंट में उन्हें सीवियर ब्रेन हेमोरेज होता है, जिससे उन्हें इंटरनल ब्लीडिंग हुई थी।
कैसे कोई 20 सालों तक कोमा में रहता है?
प्रिंस को ब्रेन हेमोरेज के साथ इंटरनल ब्लीडिंग हुई थी, जिस वजह से वह कोमा में चले गए थे। भुवनेश्वर के केयर अस्पताल के सीनियर न्यूरोसर्जन और कंसल्टेंट डॉक्टर आत्मरंजन दास बताते हैं कि ब्रेन हेमोरेज के 2 प्रकार होते हैं, मगर रोड एक्सीडेंट में तीन तरह के हेमोरेज होते हैं, जिसमें हेड ट्रॉमा के अंदर इंटरनल इंजरी शामिल होती है।
ये भी पढ़ें- पाकिस्तानी सेना के अधिकारी को BLA ने बम से उड़ाया, सामने आया वीडियो
इसके बाद कोमा में जाने की स्थिति या मृत्यु हो सकती है। प्रिंस को कोमा हुआ था। दरअसल, कोमा की स्थिति में ब्रेन डेड हो जाता है, ऐसी स्थिति एक्सीडेंट में होती है। अगर कोई कोमा में गया है, तो वह 2 दिन, 2 हफ्ते, 2 साल या उससे ज्यादा समय के लिए भी कोमा में रह सकता है। 20 साल का अंतराल बहुत रेयर केस में होता है और इससे वापिस लौटना मुश्किल होता है।
क्या है कारण?
कोमा में रहने के कई कारण प्रकार हो सकते हैं, मगर रोड एक्सीडेंट की स्थिति में सीवियर ब्रेन इंजरी से इंटरनल ब्लीडिंग कोमा का मुख्य कारण है। एक्सीडेंट के बाद ब्रेन तक सही तरीके से ऑक्सीजन सप्लाई नहीं हो पाती है। इसके अलावा, कई बार हेमोरेज होने के बाद दिमाग के अंदर इंफेक्शन भी हो जाता है, जिस वजह से कोमा होता है।
View this post on Instagram
क्या रिकवरी मुमकिन है?
डॉक्टर दास के मुताबिक, रोड एक्सीडेंट में सिर पर चोट लगने के बाद एक गोल्डन टाइम होता है, जिसे कहा जाता है कि इस समय में मरीज की जान और गंभीर स्थिति से बचाव किया जा सकता है। मगर जब भी समय ज्यादा हो जाए, तो उसके बाद इलाज होता है लेकिन जान बचाना मुश्किल हो जाता है। साथ ही, कोमा अगर लंबे समय तक रहता है, तो इससे हालत और नाजुक हो जाती है, जिस वजह से मौत होने की संभावना अधिक रहती है।
ये भी पढ़ें- मशहूर ‘स्लीपिंग प्रिंस’ का निधन, 20 साल से कोमा में क्यों थे सऊदी अरब के बिन खालिद?