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Pakistan election: कभी सेना…तो कभी चुनाव में एक ही पार्टी, ये हैं पाक‍िस्‍तानी इत‍िहास के 5 सबसे गंदे चुनाव

Pakistan General election 2024: पाकिस्तान के इन 5 सबसे गंदे चुनावों में धंधली के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए गए। वहां की नेशनल असेंबली में कुल 336 सीटें हैं, जिनमें 266 सीटों पर प्रत्यक्ष मतदान होगा।

Edited By : Shubham Singh | Updated: Feb 8, 2024 11:20
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Pakistan General election 2024

Pakistan General election 2024 voting continues Dirtiest elections in history: पाकिस्तान में संसदीय आम चुनाव के लिए मतदान जारी है। मतदाता मतदान करने के लिए इस्लामाबाद के एक मतदान केंद्र पर पहुंचे। आम चुनावों के साथ ही चार प्रांतों के चुनाव भी हो रहे हैं। इसमें 12 करोड़ 80 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। ये सभी वोटर एकबार संसदीय चुनाव के लिए और एकबार प्रांतीय चुनाव के लिए दो बार वोट डालेंगे। लेकिन क्या आपको पाकिस्तान के इतिहास में 5 सबसे गंदे चुनावों के बारे में पता है।

डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में अब तक 11 बार प्रत्यक्ष आम चुनाव हो चुके हैं। 12वीं बार चुनाव आज 8 फरवरी को हो रहा है। सैद्धांतिक रूप से इस लोकतांत्रिक गतिविधि में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को प्रभारी बनाया जाता है। उम्मीद की जाती है कि वे देश को वापस पटरी पर लाएंगे। लेकिन लगभग एक दर्जन चुनाव होने के बावजूद, पाकिस्तान में आम चुनाव देश को लंबे समय से चली आ रही बीमारियों से छुटकारा नहीं दिला पाते हैं।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ भी चुनाव राजनीतिक दलों के भीतर और अधिक कलह पैदा करते हैं। ऐसा होने का एक बड़ा कारण यह है कि सिस्टम में कुछ खास लोगों के लिए धांधली या हेरफेर किया जाता है। डॉन ने अलग अलग राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा दिए गए इनपुट के आधार पर पांच ऐसे चुनावों की रैंकिंग की है जिनके बारे कहा जाता है कि वे सबसे गंदे चुनाव रहे यानी उनमें सबसे अधिक गड़बड़ियां हुईं।

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पहला चुनाव

इसमें पहला चुनाव 1997 का है। इसे नियंत्रित चुनाव कहा जाता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 1988 और 1997 के बीच 10 साल की अवधि के दौरान हुए चार चुनावों में एक स्पष्ट रुझान सामने आया। 1997 में शरीफ ने नेशनल असेंबली की कुल 217 सीटों में से 137 सीटें जीतकर भारी जीत हासिल की थी। यह पिछले चुनावों में उनकी 73 सीटों से लगभग दोगुनी थी।

दूसरा चुनाव

दूसरा चुनाव 1985 का है। इसे पार्टीविहीन चुनाव कहा जाता है। 1985 के चुनाव मूल रूप से 1977 में होने थे, जब जनरल जियाउल हक ने सैन्य तख्तापलट किया और देश से वादा किया कि 90 दिनों के भीतर आम चुनाव होंगे। उनके 90-दिन के वादे के आठ साल बाद, चुनाव तो हुए, लेकिन बहुत ही असामान्य परिस्थितियों में, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया था और उसके बाद कभी नहीं देखा गया। इस ‘दलविहीन’ चुनाव किसी भी राजनीतिक दल को अपने उम्मीदवार मैदान में उतारने की अनुमति नहीं थी।

तीसरा चुनाव

तीसरा चुनाव 2002 का है। पाकिस्तान के चुनावों में सेना का दखल किसी से छिपा नहीं है। ऐसा 2002 में हुआ था जब एक ही समय में सेना प्रमुख और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने चुनाव कराने का फैसला किया था। इस चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली हुई। पुलिस, अधिकारियों से लेकर वोटों की गिनती करने वाले लोग भी इसमें शामिल थे।

चौथा चुनाव

चौथा सबसे गंदा चुनाव 1990 का था। इसे सभी धांधलियों की जननी कहा जाता है। इस चुनाव में बड़े पैमाने पर हेरफेर हुई।
नुसरत जावेद ने डॉन डॉट कॉम को बताया कि 1988 में बेनजीर भुट्टो की स्पष्ट जीत को रोकने के लिए रातोंरात आईजेआई बनाई गई थी। अचानक मुहम्मद खान जुनेजो, नवाज शरीफ, जमात-ए-इस्लामी, गुलाम मुस्तफा जटोई एक साथ आ गए। नौ पार्टियां पलक झपकते ही एक साथ आ गईं।

चुनाव के 20 साल बाद साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि 1990 के चुनावों में वास्तव में धांधली हुई थी। इसमें आगे कहा गया कि तत्कालीन राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान, सीओएएस जनरल (आर) असलम बेग और डीजी आईएसआई असद दुर्रानी ने पीपीपी सरकार के खिलाफ साजिश रची।

पांचवां चुनाव

वहीं पांचवां सबसे गंदा चुनाव साल 2018 का था। इसे सबसे अनुचित चुनाव कहा जाता है। 2018 के चुनावों में कथित हेरफेर की नींव ठीक एक साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को हटाने के साथ रखी गई थी, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक पद संभालने से अयोग्य घोषित कर दिया था।

इस चुनाव से पहले के महीनों में मीडिया पर बड़े पैमाने पर सेंसरशिप का असर देखा गया। इस चुनाव में राजनीतिक नेताओं पर अपनी पार्टियां छोड़ने और इमरान खान के साथ शामिल होने का दबाव डाला गया था। इसमें नेताओं का अपहरण भी किया गया और उन्हें तब तक बंधक बनाए रखा गया जब तक वे पीटीआई में शामिल होने के लिए सहमत नहीं हो गए।

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HISTORY

Written By

Shubham Singh

First published on: Feb 08, 2024 11:19 AM

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