Nepal Gen-Z: नेपाल में हिंसक प्रदर्शन के बाद अब सत्ता बदलने का दौर शुरू हो गया. कई नामों की चर्चा के बाद पूर्व मुख्यन्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री चुन लिया गया है. 11 सितंबर की आधी रात को राष्ट्रपति रामचंद्र ने इसका ऐलान किया है. हालांकि जेन-जी और बालेन गुट की ओर से संसद भंग करने की शर्त रखी गई थी, जिस पर सहमति नहीं हो पाई. सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति पौडेल ने किसी भी हालत में संसद भंग न करने का कड़ा रुख अपनाया है. कांग्रेस और एमाले (CNP-UML) भी इसी लाइन पर हैं.
इनके बीच फंसा पेंच
बैठक में जेन-जी और बालेन गुट की ओर से ओमप्रकाश अर्याल ने संसद को तत्काल भंग कर नए चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन राष्ट्रपति ने उसे अस्वीकार कर दिया। सभामुख देवराज घिमिरे भी संसद भंग न करने के पक्ष में हैं। अर्याल ने यह भी मांग रखी कि संविधान संशोधन कर प्रत्यक्ष निर्वाचित प्रधानमंत्री की व्यवस्था की जाए, परंतु कांग्रेस और एमाले इस पर तैयार नहीं हैं. माओवादी अध्यक्ष प्रचंड ने हालांकि जेन-जी के सभी मांगों को स्वीकार कर लिया है.
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नाम तय लेकिन प्रक्रिया नहीं
नेपाल की अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम तय हो गया है. हालांकि उन्हें कैसे चुना जाएगा, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है. नेपाल के संविधान में पूर्व मुख्य न्यायाधीश को रिटायरमेंट के बाद किसी अन्य पद पर नहीं रखा जा सकता है. वहीं कार्की के नाम पर राष्ट्रपति ने भी सहमति जता दी है. अब देखना है कि संविधान को बचाते हुए किस प्रक्रिया के तहत सुशीला कार्की को नेपाल का अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया जाएगा.
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