Nepal Cabinet Expansion: नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने अपनी कैबिनेट का विस्तार किया है. उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में 5 नए चेहरों को शामिल किया है. इसके साथ ही सुशीला कार्की मंत्रिमंडल में अब मंत्रियों की संख्या 9 हो गई है. मंत्री बने नेताओं के नाम अनिल कुमार सिन्हा, महावीर पुन, संगीता कौशल मिश्रा, जगदीश खरेल और मदन परियार हैं, जिनकी सिफारिश राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल द्वारा की गई थी. इन पांचों मंत्रियों को आज राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाई जाएगी.
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ओली सरकार गिरने से प्रधानमंत्री बनी हैं सुशीला कार्की
बता दें कि नेपाल में Gen-Z के विरोध प्रदर्शन और हिंसा के चलते केपी शर्मा ओली की सरकार गिर गई थी. इसके बाद Gen-Z के समर्थन से सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश रह चुकी सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया है, जिन्हें मार्च 2026 में आम चुनाव कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. वहीं प्रधानमंत्री बनते ही सुशीला कार्की ने कुलमान घीसिंग को ऊर्जा, जल संसाधन एवं भौतिक योजना मंत्री, रमेश्वर खनाल को वित्त मंत्री तथा ओम प्रकाश आर्यल को गृह मंत्री बनाया था. वहीं सुशीला कार्की खुद कई विभागों की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं.
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भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन
बता दें कि नेपाल में ओली सरकार में फैले भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया था. सेना और पुलिस के दमन के चलते हिंसा और आगजनी हुई थी, जिसमें कई लोग मारे गए और हालातों को देखते हुए ओली सरकार के मंत्रियों ने इस्तीफे दे दिए थे. प्रदर्शनकारियों से हारकर केपी शर्मा ओली को भी प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा और सेना की शरण लेनी पड़ी. 9 दिन सेना के बंकर में रहने के बाद वे देश लौटे और अपने घर पहुंचे. वहीं विरोध प्रदर्शन के चलते हिंसा और आगजनी में पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी को भी जान गंवानी पड़ी थी.
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Gen-Z क्यों उतरे थे सड़कों पर और क्या हुआ था परिणाम?
बता दें कि 4 सितंबर 2025 को नेपाल के संचार मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया था. इसके चलते फेसबुक, एक्स (ट्विटर), यूट्यूब, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम, रेडिट, सिग्नल और स्नैपचैट सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स बंद हो गए थे. युवाओं ने प्रतिबंध को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हुए रोष व्यक्त किया. बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और नेपो किड्स से तंग आ चुके युवाओं ने सरकार के खिलाफ ‘मार्च अगेंस्ट करप्शन’ निकाला, जो पुलिस और सेना के दमन के चलते हिंसक हो गया था.