नासा ने चेतावनी जारी की है कि आने वाले दिनों में सौर गतिविधि बढ़ने की संभावना है। इस सौर तूफान से पृथ्वी पर संचार, नेविगेशन सिस्टम और यहां तक कि बिजली ग्रिड भी बाधित हो सकते हैं। यह चेतावनी नासा के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी द्वारा कैप्चर की गई वर्ष की सबसे शक्तिशाली सौर ज्वाला के बाद दी गई है।
दरअसल, शक्तिशाली X2.7 श्रेणी की सौर ज्वाला एक नए सक्रिय सनस्पॉट AR4087 से फूटी और 14 मई को अपने चरम पर पहुंच गई, जिससे यूरोप, एशिया और मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में अस्थायी रेडियो ब्लैकआउट हो गया। अमेरिका स्थित राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) के अनुसार, कुछ क्षेत्रों में उच्च आवृत्ति संचार व्यवधान लगभग दस मिनट तक रहा।
वैज्ञानिक लगातार कर रहे निगरानी
सौर गतिविधियों पर नासा और NOAA के अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान केंद्र लगातार निगरानी रख रहे हैं। नासा ने चेतावनी दी है कि आगे भी सौर ज्वालाएं अंतरिक्ष यात्रियों, उपग्रहों और पृथ्वी-आधारित प्रौद्योगिकियों जैसे GPS सिस्टम, नेविगेशन और पावर ग्रिड को प्रभावित कर सकती हैं।
The US isn’t prepared for a big solar storm, exercise finds https://t.co/QTC3ho4U64
---विज्ञापन---— Lynne Irwin (@LLynneIrwin) May 21, 2025
क्या होती हैं सौर ज्वालाएं?
सौर ज्वालाएं सूर्य की सतह से विकिरण के अचानक तीव्र विस्फोट से उत्पन्न होती हैं, जो अक्सर सनस्पॉट गतिविधि से जुड़ी होती हैं। ये ज्वालाएं पृथ्वी पर मौजूद कई प्रणालियों को प्रभावित कर सकती हैं। ये उच्च-ऊर्जा वाली होती हैं और प्रकाश की गति से केवल 8 मिनट में पृथ्वी तक पहुंच जाती हैं। सूर्य से निकलने वाली यह तीव्र ऊर्जा और चार्ज कण (प्रोटॉन) जब पृथ्वी के वायुमंडल से टकराते हैं, तो इसे सौर तूफान कहा जाता है।
क्या पड़ेगा प्रभाव?
आज की दुनिया पूरी तरह टेक्नोलॉजी पर निर्भर है, जिसमें सैटेलाइट, बिजली ग्रिड और संचार प्रणाली शामिल हैं। ये सौर तूफान इन्हीं प्रणालियों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। 1859 में आया कैरिंगटन तूफान इतना शक्तिशाली था कि उसने टेलीग्राफ की तारों को जला दिया था। 2003 में आया हैलोवीन तूफान कैरिंगटन तूफान से दस गुना कमजोर था, फिर भी इसने सैटेलाइट की कक्षाओं को तहस-नहस कर दिया था। 2024 में आया गैनन तूफान भी सैटेलाइट प्रणालियों को बुरी तरह प्रभावित कर गया।