Google: कौन जानता था कि दुनिया की सबसे बड़ी दिग्गजों में से एक, गूगल, एक लेखक की कविता से प्रेरित होकर पैदा होगा? ये विश्वास करना मुश्किल लग सकता है, लेकिन ये सच है। गूगल के फाउंडर सर्गेई ब्रिन ने खुद बताया है कि शेक्सपीयर की प्रसिद्ध पंक्ति, “टू बी ऑर नॉट टू बी, दैट इज द क्वेश्चन” ने उन्हें गूगल बनाने की प्रेरणा दी।
कैसे की Google बनाने की शुरुआत
वो समय इंटरनेट का शुरुआती दौर था। जब जानकारी खोजने के लिए बहुत कम ऑप्शंस हुआ करते थे। उस समय सिर्फ एक ही सर्च इंजन था, ‘Ask Jeeves’, लेकिन वो लोगों की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा था। सर्गेई ने महसूस किया कि लोगों को सवाल पूछने और जवाब पाने का एक बेहतर तरीका मिलना चाहिए।
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तभी उनके दिमाग में शेक्सपीयर की वो प्रसिद्ध पंक्ति आई। उन्होंने सोचा कि अगर कंप्यूटर भी इंसानों की तरह सवाल समझ सके और उसके सही जवाब दे सके तो कितना अच्छा होगा। और यही विचार गूगल की नींव बन गया। सर्गेई ने अपने साथी लैरी पेज के साथ मिलकर इस विचार को साकार करने की दिशा में काम शुरू किया। आज, गूगल दुनिया भर में अरबों लोगों की जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। ये हमें जानकारी, मनोरंजन और बहुत कुछ प्रदान करता है। लेकिन इसकी शुरुआत एक साधारण विचार से हुई थी, जो एक महान कवि की कल्पना का उपहार था।
इस से हमें क्या सीख मिलती है
यह कहानी हमें याद दिलाती है कि महान विचार कहीं से भी आ सकते हैं। हमें हमेशा अपने आस-पास की दुनिया पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि अगला बड़ा आइडिया किसी भी कोने में छिपा हो सकता है। शेक्सपीयर की कविता ने एक Technological Revolution को जन्म दिया, और कौन जानता है, आपका अगला विचार भी एक नई दुनिया की शुरुआत हो सकता है।
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इसलिए, अगली बार जब आप गूगल पर कुछ सर्च करें, तो याद रखें कि यह सिलिकॉन वैली की Laboratories से ही नहीं, बल्कि इंग्लैंड के एक कवी के दिमाग से भी जुड़ा हुआ है। यह एक अद्भुत कहानी है जो हमें दिखाती है कि कैसे कला और विज्ञान एक दूसरे को प्रेरित कर सकते हैं।