Japan Tsunami Warning: रूस में बुधवार को 8.8 तीव्रता वाला भूकंप आया जिसने पूरी धरती की रूह को हिलाकर रख दिया है। यह भूकंप प्रशांत महासागर से घिरे प्रायद्वीप कामचटका में आया था। इस भूकंप के बाद सुनामी भी आई जिसकी लहरों की रफ्तार इतनी तेज थी कि आसपास की इमारतें ताश की तरह उसमें बह गईं। फिलहाल, जापान, रूस और तटीय इलाकों को खाली करवाया जा चुका है और अलर्ट भी जारी किया गया है कि लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित जगहों पर ठहरें। वहीं, इस भूकंप को अबतक का सबसे भयावह माना जा रहा है।
कहां स्थित है कामचटका?
कामचटका प्रायद्वीप रूस के साइबेरिया इलाके के सुदूर पूर्व में बसा एक प्रायद्वीप है। इस प्रायद्वीप की लंबाई लगभग 1,250 किलोमीटर है। यह प्रायद्वीप उत्तर में साइबेरिया के समीप है। कामचटका के पूर्व में प्रशांत महासागर और पश्चिम में ओखोत्स्क सागर मौजूद है। प्रशासनिक रूप से यह रूस के कमचातका क्राय विभाग का हिस्सा है। ये प्रायद्वीप लगभग 472,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
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ज्वालामुखियों से घिरा क्षेत्र
प्राकृतिक रूपरेखा की बात करें तो इस प्रायद्वीप को ज्वालामुखियों का क्षेत्र भी माना जाता है। यहां लगभग 160 वोलकेनो हैं, जिसमें से 30 आज भी सक्रिय है। यहां दुनिया का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध ज्वालामुखी क्ल्युचेव्स्काया सोपका भी मौजूद है। इसे खूबसूरत घाटी भी माना जाता है, जहां कई हॉट स्प्रिन्गस और गाइजर की घाटियां भी हैं। ये सभी मुख्य आकर्षण भी हैं।
प्रकृति का खुबसूरत नजारा
कामचाटका एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (UNESCO) है। यह क्षेत्र वन्य क्षेत्र, जंगलों और पर्वतों से ढ़का हुआ है। यहां आपको भालू की कई प्रजातियां, सैल्मन मछली और ईगल्स जैसे कई दुर्लभ जानवर पाए जाते हैं। बता दें कि इस इलाके की आबादी बेहद कम है। यहां कोर्याक और एवेंस जनजाति के लोग पाए जाते हैं। यहां एक रूसी नौसेना का बेसकैंप भी स्थित है।
JUST IN: At least 4 whales have washed up along the coast of Japan, hours after 8.8 earthquake pic.twitter.com/t9siMZDHFS
— BNO News Live (@BNODesk) July 30, 2025
पर्यटन के लिहाज से कैसी है जगह?
इस क्षेत्र को पर्यटक स्थल माना जाता है। यहां हर साल कई सैलानी और एडवेंचर लवर्स घूमने आते हैं। यह जगह ट्रैकिंग, मछली पकड़ने, हेलीकॉप्टर से ज्वालामुखी देखने और जीव-जंतु देखने के लिए मशहूर है। इस जगह को रूस की चमत्कारी जगह के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां ज्वालामुखी और बर्फ के ग्लेशियर समेत कई जीव-जंतु मौजूद हैं।
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