चंद्रयान-5 मिशन को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के बीच समझौता हुआ है। पीएम मोदी ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की है। पीएम मोदी ने कहा कि वे इसरो और जाक्सा के बीच समझौते का स्वागत करते हैं। दोनों देशों की साझेदारी पृथ्वी की सीमाओं से भी आगे जा चुकी है। अब दोनों देश चंद्रमा पर भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे।
पीएम मोदी ने टोक्यो में जापनी पीएम शिगेरु इशिबा के साथ वार्ता के बाद संयुक्त ब्रीफिंग की थी। इसी दौरान पीएम मोदी ने भारतीय और जापानी अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच समझौते की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि अब दोनों देश अंतरिक्ष मिशन पर एक साथ मिलकर काम करेंगे। जिससे मानव जाति भी चंद्रमा को करीब से देख सके। उन्होंने कहा कि जल्द ही दोनों देशों के एजेंसी इस पर काम शुरू कर देगी।
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क्या है इस मिशन का मकसद?
इस संयुक्त मिशन का मकसद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में जलीय बर्फ की खोज और उसका विश्लेषण करना है। इस मिशन में JAXA द्वारा विकसित एक रोवर और ISRO द्वारा विकसित एक लैंडर शामिल होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह सहयोग दोनों देशों के उद्योगों और स्टार्टअप्स को जोड़कर नए अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने इसे प्रयोगशालाओं से लॉन्च पैड तक और अनुसंधान से वास्तविक अनुप्रयोगों तक नवाचार का प्रवाह बताया।
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भारत के लिए ‘अंतरिक्ष’ अगला मोर्चा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अंतरिक्ष भारत के लिए अगला मोर्चा है और चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता इसका प्रमाण है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान आम लोगों के जीवन को भी प्रभावित करता है, चाहे वह कृषि हो, संचार हो या आपदा प्रबंधन। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत-जापान का यह संयुक्त प्रयास न केवल वैज्ञानिक सीमाओं को आगे बढ़ाएगा, बल्कि लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में भी मदद करेगा।