India-Pakistan Visa hindrance Between Child and Parents: भारत-पाकिस्तान की सरहदों का बंटवारा 76 साल पहले हो चुका है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से भारत के रिश्ते कुछ खास अच्छे नहीं हैं, लेकिन सदियों पुराने दिलों के रिश्ते आज भी जिंदा हैं। ऐसे कई परिवार हैं, जो धार्मिक वीजा लेकर भारत आते हैं और यहीं पर बस जाते हैं। भारत के कई शहरों में हिंदू-पाक विस्थापितों की बस्तियां हैं, जहां रहकर वे गुजर बसर करते हैं। अपना सब कुछ छोड़ कर भारत आने वाले इन पाकिस्तानियों को यह उम्मीद होती है कि यहां वे और उनका परिवार सुरक्षित रहेंगे। कई बार वीजा नहीं मिलने पर इन लोगों को अपना परिवार और घर-बार को छोड़कर भारत आने पर मजबूर होना पड़ता है। आज हम आपको ऐसे ही हिंदू-पाक विस्थापितों से रूबरू करवाते हैं। इनमे से कोई अपना एक महीने का बच्चा छोड़कर भारत आया है तो कोई अपने मां-बाप को छोड़ कर भारत आया है। वीजा न मिलने कारण कई मां-बाप अपने बच्चे से दूर हैं, वहीं कई बच्चे अपने मां-बाप से दूर हैं।
मां-बाप भारत में और बच्चा पाकिस्तान में
विजयराम पाकिस्तान में अपने मां-बाप और भाइयों के साथ रहता था, लेकिन वहां पर अत्याचार और दहशतगर्दी से परेशान होकर विजयराम ने अपना और अपनी गर्भवती पत्नी का धार्मिक वीजा अप्लाई किया, लेकिन भारत आने से 15 दिन पहले ही उनका एक बेटा हुआ। उन्होंने अपने बेटे का भी वीजा अप्लाई किया, लेकिन वीजा नहीं मिला। आखिर में विजयराम को अपने कलेजे के टुकड़े को पाकिस्तान में ही नाना-नानी के पास छोड़कर भारत आना पड़ा। अब बच्चे की इतनी याद आती है कि बात-बात पर दोनों मां-बाप रो देते हैं। बच्चों को भारत लाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। सरकार से भी गुजारिश कर रहे हैं कि उनके बच्चे को वीजा दिलाया जाए, तकि वह उनके साथ रह सके।
सरकार से गुजारिश कर रहा परिवार
चोखाराम की भी कहानी ऐसी है। उनके 5 बच्चे थे, जिनका भारत आने के लिए वीजा अप्लाई किया गया था। चोखाराम और उसकी पत्नी और 4 बच्चों का वीजा लग गया। एक बच्चे का वीजा नहीं लगा। वह बच्चा पाकिस्तान में अपने चाचा-चाची के पास है। बच्चे को भारत लाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। चोखाराम ने बताया कि वह लोग पाकिस्तान वापस नहीं जाना चाहते हैं। वहां पर माहौल ठीक नहीं है। वह लोग भारत में ही रहना चाहते हैं। यह लोग सरकार से गुजारिश कर रहे हैं कि बच्चे को वीजा मिल जाए और वह उनके पास आ जाए।
यह भी पढ़ें: भारत के समुद्र तट के पास मर्चेंट जहाज पर ड्रोन हमला, इजराइल से है कनेक्शन
बच्चे के फोटो देख दिल को देते तसल्ली
पाकिस्तान में अपना सब कुछ छोड़कर रायमलराम अपने परिवार के साथ भारत आ गया, लेकिन वीजा नहीं मिलने से 3 महीने के अपने कलेजे के टुकड़े से दूर हो गया। बच्चे का वीजा नहीं मिलने के कारण अपने मासूम बच्चे को भारत नहीं ला पाए। अब लगातार कोशिश कर रहे हैं। बच्चा वहां अपनी चाची-चाची के पास रहता है। फोटो देखकर दिल को तसल्ली देते हैं, लेकिन उम्मीद है कि सरकार उनकी सुनेगी। उनके बच्चे का वीजा दिलाएगी, जिसके बाद बच्चा उनके साथ रह पाएगा। बच्चों की याद बहुत आती है, फोन पर वीडियो कॉल करके बात कर लेते हैं, लेकिन जी नहीं भरता है। क्योंकि वहां पर माहौल ठीक नहीं है।
पाकिस्तान में मां-बाप, भारत में बच्चे
अपने परिवार के साथ 70 साल टिकुराम पाकिस्तान से धार्मिक वीजा पर भारत आ गए। उस दौरान बड़े बेटे और बहू का वीजा नही लगा, लेकिन 2 पोतों और 2 पोतियों का वीजा लग गया। चारों मासूम बच्चे पिछले 4 साल से जोधपुर के गंगाणा स्थित हिंदू पाक विस्थापितों की बस्ती में अपने दादा-दादी और चाचा चाची के साथ रह रहे हैं। बच्चों के पिता का सपना था कि बच्चों को भारत ले जाकर पढ़ लिखकर अच्छा इंसान बनाएंगे, नौकरी लग जाएगी, जिससे उनका भविष्य सुधर जाएगा। अब बच्चों की पढ़ाई तो दूर की बात है, बच्चे सिर्फ घर का काम करते हैं। बच्चे बोलते हैं। कई बार मां-बाप की याद आती है तो रो लेते हैं। कई बार मां-बाप बात करते-करते रो लेते हैं। बड़ी बेटी सुहा ने बताया कि घर का काम करना पड़ता है। छोटे भाई बहन हैं। खाना बनाते समय कई बार हाथ जल जाता है। कई बार हमें मां-बाप की बहुत याद आती है। रो-रो के हमको चुप रहना पड़ता है। हम लोग मजबूर हैं, क्योंकि मेरे माता-पिता को वीजा नहीं मिल रहा है।