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सैनिकों के लिए इस्लाम और अरबी सीखना जरूरी? इजरायल डिफेंस फोर्स के आदेश के क्या मायने

IDF Mandates Arabic and Islamic Studies: इजरायल ने अपनी खुफिया एजेंसियों में काम कर रहे कर्मचारियों को अरबी और इस्लामिक संस्कृति सीखना अनिवार्य कर दिया है। यह निर्णय बीते कुछ सालों में मिली खुफिया विफलताओं के बाद लिया गया है। इसके चलते अब सभी सैनिकों और अधिकारियों को अरबी भाषा सीखना जरूरी कर दिया गया है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Jul 26, 2025 16:14
IDF Personnel

IDF Mandates Arabic and Islamic Studies: इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने हाल ही में अपने खुफिया विभाग (AMAN) के सैनिकों और अधिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस आदेश में हमास द्वारा 7 अक्टूबर 2023 के हमले के बाद खुफिया एजेंसियों में पाई गई कमजोरियों को दूर करने के लिए अरबी भाषा और इस्लामी स्टडीज को जरूरी कर दिया गया है। इस आदेश का उद्देश्य खुफिया कर्मियों की क्षेत्रीय और सांस्कृतिक समझ को बढ़ाना है ताकि वे जटिल क्षेत्रीय खतरों का बेहतर विश्लेषण कर सकें।

फेल हो रहा था खुफिया तंत्र

7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद इजरायल की खुफिया प्रणाली में कई कमजोरियां सामने आईं। यह हमला न सिर्फ देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बना, बल्कि कई स्तरों पर चौंकाने वाला भी रहा। इस हमले ने यह भी दिखाया कि क्षेत्रीय भाषा और संस्कृति की गहरी समझ के बिना खुफिया जानकारी का विश्लेषण अधूरा रह सकता है। इस घटना के बाद, IDF ने अपनी खुफिया रणनीति में सुधार करने का निर्णय लिया था। AMAN के प्रमुख, मेजर जनरल श्लोमी बाइंडर ने इस दिशा में एक ठोस कदम उठाते हुए सभी खुफिया कर्मियों के लिए अरबी भाषा और इस्लामी अध्ययन को अनिवार्य करने का आदेश जारी किया है। यह पहल न केवल तात्कालिक सुधारों पर केंद्रित है, बल्कि दीर्घकालिक रूप से खुफिया कर्मियों की क्षमताओं को भी बढ़ाएगी।

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अगले वर्ष तक प्राप्त करना होगा प्रशिक्षण

इस नए आदेश के तहत AMAN के सभी कर्मियों को अगले वर्ष के अंत तक इस्लामी अध्ययन में प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा, जबकि 50% कर्मियों को अरबी भाषा का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण का विशेष ध्यान यमन और इराक की क्षेत्रीय बोलियों पर होगा। इसमें मेन फोकस हौथी संचार को समझने पर किया जाएगा, क्योंकि यह अपनी जटिलता और स्थानीय बोलचाल के कारण समझने में कठिन रहा है। यमन में सामाजिक रूप से प्रचलित हल्के नशीले पदार्थ ‘कत’ (qat) के उपयोग ने हौथी कम्युनिकेशन की स्पष्टता को और कठिन बना दिया है, जिसे समझने के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता है। इसके लिए AMAN एक डेडिकेट डिपार्टमेंट बनाएगा, जो अरबी और इस्लामी शिक्षा को व्यवस्थित रूप से लागू करेगा। यह विभाग प्रामाणिक और प्रभावी प्रशिक्षण सुनिश्चित करने के लिए संबंधित समुदायों के शिक्षकों को शामिल करेगा।

 

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फिर से बनेगा TELEM विभाग

IDF ने अपने TELEM विभाग को दोबारा से गठित करने की योजना बनाई है। यह विभाग पहले इजरायली स्कूलों में अरबी और मध्य पूर्वी अध्ययन को बढ़ावा देता था। यह विभाग छह साल पहले बजट कटौती के कारण बंद कर दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप अरबी भाषा सीखने वाले कर्मियों की संख्या में कमी आई थी। TELEM की बहाली से स्कूल स्तर पर अरबी और मध्य पूर्वी संस्कृति की शिक्षा को फिर से शुरू किया जाएगा, जिससे भविष्य में खुफिया विभाग के लिए बेहतर प्रशिक्षित कर्मी तैयार होंगे। यह कदम लॉन्गटर्म सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो खुफिया कार्यों को अधिक प्रभावी बनाएगा।

क्यों पड़ी आवश्यकता?

इस पहल का मुख्य उद्देश्य खुफिया कर्मियों को क्षेत्रीय भाषा और सांस्कृतिक बारीकियों की गहरी समझ प्रदान करना है। एक वरिष्ठ AMAN अधिकारी ने आर्मी रेडियो को बताया कि अब तक खुफिया कर्मियों में संस्कृति, भाषा और इस्लाम के क्षेत्र में पर्याप्त गहराई का अभाव था। इस प्रशिक्षण के माध्यम से IDF का लक्ष्य अपने कर्मियों में गहन अवलोकन और संदेह की भावना पैदा करना है, जो खतरों को पहले से बेहतर ढंग से पहचानने में मदद करेगा। विशेष रूप से हौथी, हमास और हिजबुल्लाह जैसे समूहों के कम्युनिकेशन और प्लानिंग्स को समझने के लिए यह प्रशिक्षण महत्वपूर्ण होगा। यह कदम खुफिया जानकारी के विश्लेषण को और सटीक बनाने में सहायक होगा, जिससे भविष्य में सुरक्षा विफलताओं को रोका जा सकेगा।

क्या पड़ेगा प्रभाव?

इस पहल से IDF की खुफिया क्षमताओं में सुधार की उम्मीद है। अरबी भाषा और इस्लामी संस्कृति की समझ से खुफिया कर्मी क्षेत्रीय खतरों को अधिक प्रभावी ढंग से समझ सकेंगे और उनकी जांच का दायरा बढ़ेगा। हालांकि, इस कार्यक्रम को लागू करने में कई चुनौतियां भी हैं। जैसे प्रामाणिक शिक्षकों की उपलब्धता, प्रशिक्षण की गुणवत्ता और कर्मियों की व्यस्तता आदि इसको प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, क्षेत्रीय बोलियों और सांस्कृतिक बारीकियों को सीखने में समय और संसाधनों की आवश्यकता होगी। हालांकि इसके बावजूद यह पहल एक सकारात्मक दिशा में कदम है, जो इजरायल की सुरक्षा रणनीति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

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First published on: Jul 26, 2025 04:08 PM

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