उत्तरी अफ्रीकी देश मोरक्को इस समय भीषण लू और सूखे का सामना कर रहा है। देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि सेंट्रल सिटी बेनी मेल्लाल में 24 घंटे की अवधि में कम से कम 21 लोगों की मौत लू लगने से हो गई। यहां के मौसम विभाग ने कहा कि बढ़ता तापमान उत्तरी अफ्रीकी देशों को बुरी तरह से परेशान कर रहा है। कुछ स्थानों पर तो पारा 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।
Heading to southwest Europe on holiday this week?
---विज्ञापन---Parts of Spain, Portugal and Morocco are in the midst of a heatwave through the early part of this week 🔆
Temperatures peaking in the mid to high 40s in places but will ease back towards the end of the week 🌡️ pic.twitter.com/PYh9s19SSX
---विज्ञापन---— Met Office (@metoffice) July 22, 2024
लगातार छठे साल ऐसे हालात
बेनी मेल्लाई के हेल्थ डायरेक्टर की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि 21 लोगों जो मौत हुई है उनमें से अधिकांश लोग क्रॉनिक बीमारियों का सामना कर रहे थे और बुजुर्ग थे। बढ़ते तापमान ने उनके स्वास्थ्य पर गलत असर डाला जिसके चलते उनकी मौत हो गई। उल्लेखनीय है कि यह लगातार छठा ऐसा साल है जब मोरक्को को भीषण सूखे और रिकॉर्ड हीटवेव का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों के लिए संकट गंभीर!
साल 1940 के बाद से इस साल जनवरी का महीना सबसे गर्म रहा था। लगातार बढ़ता तापमान और लंबी अवधि के सूखे ने एग्रीकल्चर सेक्टर के लिए यहां गंभीर संकट उत्पन्न कर दिया है। मोरक्को के जल मंत्री निजार बराका ने बीते जून में कहा था कि यहां वॉटर इवेपोरेशन का लेवल प्रति दिन 15 लाख क्यूबिक मीटर हो चुका है। मोरक्को में सबसे ज्यादा टेंपरेचर पिछले साल अगस्त में दर्ज हुआ था।
An early-season heat wave is shattering records across North Africa and the Iberian Peninsula.
Morocco, Portugal, Spain are all feeling the pain.
As the fossil fuel industry roasts the planet, more extreme weather records are being broken.
pic.twitter.com/STYphmCTj1— Greenpeace International (@Greenpeace) April 28, 2023
क्यों पड़ रहा है लगातार सूखा?
वैज्ञानिकों ने इसके पीछे का कारण क्लाइमेट चेंज को बताया है। उनका कहना है कि अगर इससे निपटने के पुख्ता इंतजाम अभी नहीं किए गए तो आने वाले समय में मोरक्को में स्थिति और गंभीर होगी। साथ ही साथ दुनिया के अन्य इलाकों में भी लोगों को इसी तरह के संकटों का सामना करना पड़ेगा। इसका सबसे ज्यादा असर किसानों पर पड़ा है, जिन्हें बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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