G 20 Summit Success : पिछले कई महीनों से जी 20 समिट को लेकर पूरी दुनिया की भारत पर नजर थी। भारत में जी 20 के 18वें शिखर सम्मेलन का शानदार तरीक से आयोजन किया गया। एक आंकड़े के मुताबिक दिल्ली में आयोजित जी 20 शिखर सम्मेलन में सबसे ज्यादा काम हुआ। रूस-यूक्रेन युद्ध समेत कई मुद्दों पर मतभेत के बीच भारत ने नई दिल्ली घोषणा पत्र पर सभी सदस्य देशों के बीच सहमति बनाकर अपनी कूटनीति और बढ़ते कद से दुनिया को एकबार फिर अवगत करवा दिया।
पहले अंतरराष्ट्रीय मीडिया जता रहा था शक
जी 20 शिखर सम्मेलन के शुरू होने से पहले जहां कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया इसकी सफलता यानी आम सहमति पर संदेह जता रहा था वहीं अब भारत की कूटनीति का जय गान कर रहा है।
‘मोदी है तो मुमकिन है’
अंतरराष्ट्रीय मीडिया जी20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध समेत कई मतभेदों को दूर करते हुए दिल्ली डिक्लेरेशन पर सहमति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक अप्रत्याशित सफलता बता रहा है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया यूक्रेन पर रूस के हमले के जिक्र करने से परहेज पर भारत की कूटनीतिक जीत बता बता है। इंटरनेशनल मीडिया के मुताबिक जी 20 देशों का नई दिल्ली घोषणा पत्र अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों द्वारा भारत के दबाव में रूस को लेकर काफी अधिक नरम रुख अपनाया। विदेशी मीडिया के मुताबिक, इंडोनेशिया के बाली समिट में रूस की काफी आलोचना की गई थी।
यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा से बचना भारतीय कूटनीतिक जीत
इतना ही नहीं, भारत ने जिस तरह से ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की थीम पर जी 20 समिट का आयोजन भव्य तरीक से किया उसे भी ऐतिहासिक करार दिया है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भारत में आयोजित ग्रुप 20 के अबतक के आयोजित सम्मेलनों में से सबसे सफल समिट बताया है। इन लोगों का कहना है कि नई दिल्ली घोषणा पत्र में जलवायु परिवर्तन और आर्थिक विकास पर जहां साझा विचार रखे गए, वहीं यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा करने से बचा गया। यह भारतीय कूटनीति और रणनीति की एक तरह से जीत है।
‘आसान नहीं था नई दिल्ली डिक्लेरेशन पर आम सहमति’
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपने लेख में कहा है कि नई दिल्ली समिट में समूह देशों के बीच यूक्रेन के मुद्दे पर आम सहमति के आसार नहीं के बराबर थे। वहीं, भारत की कूटनीति और रणनीति की वजह से नई दिल्ली घोषणापत्र में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण निंदा नहीं की गई, बल्कि उम्मीद के विपरीत यूक्रेन लोगों की पीड़ा पर दुख जताया गया। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ आगे लिखता है कि नई दिल्ली समिट के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपना अधिकतर समय प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपने द्वीपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने में बिताया।
नई दिल्ली घोषणापत्र भारत की सफलता
वहीं ‘सीएनएन’ ने जी 20 के नई दिल्ली घोषणापत्र को मेजबान भारत और प्रधानमंत्री मोदी के लिए अप्रत्याशित सफलता के समान बताया है। ‘सीएनएन’ आगे लिखता है कि यह अमेरिका और सदस्य देशों की ओर से अपनाई गई कहीं अधिक नरम और लचीले रुख को दर्शाता है।
नई दिल्ली डिक्लेरेशन से भारत ने दुनिया को दिखाया अपना कद
उधर, बीबीसी ने अपने लेख में जी 20 के सफल आयोजन और दिल्ली घोषणा पत्र को पश्चिम देशों और रूस के बीच तनाव को कम करने के सकारात्मकता रास्ता बताया है। बीबीसी का कहना है कि यह रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध को खत्म करने के लिए डिजाइन किया गया है। अखबार लिखता है कि दिल्ली घोषणा पक्ष में मॉस्को की निंदा में किसी तरह की ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया है जो पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में की गई थी।
भारत की कूटनीति और रणनीति का लोहा
लगभग तमाम अंतरराष्ट्रीय मीडिया में नई दिल्ली डिक्लेरेशन में रूस के खिलाफ नरम रुख को भारत की कूटनीतिक सफलता के रूप में देख रहा है। इन लोगों का कहना है कि पिछले साल बाली सम्मेलन के घोषणा पत्र में यूक्रेन पर रूस के हमले की कड़ी निंदा की गई थी। इसके बाद भारत के पास इसकी अध्यक्षता आई। भारत की अध्यक्षता में जी-20 के वित्त मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के सम्मेलनों घोषणा पत्र पर सहमति नहीं बन पाई। पश्चिमी देश चाहते थे कि दिल्ली घोषणा पत्र में रूस की कड़े शब्दों में निंदा की जाए, जबकि रूस और चीन इसका विरोध कर रहे थे।
भारत के इस कदम से दुनियाभर के पत्रकार हैरान
वहीं, अब दुनिया भर के अखबार और पत्रकार इस बात को लेकर हैरान हैं कि नई दिल्ली घोषणापत्र पर आम सहमति कैसे बन गई और ऐसा क्या हो गया जो भारत ने सम्मेलन में पहले दिन ही घोषणा पत्र जारी कर दिया।
रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थ की भूमिका में भारत
दरअसल अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद भारत रूस और यूक्रेन के युद्ध में शुरू से ही तटस्थ भूमिका में है। भारत ने अमेरिका और यूरोपीय देशों के दबाव के बावजूद जहां रूस के प्रति हमेशा नरम रूख रखा वहीं युद्ध प्रभावित यूक्रेन की दवाई, खाद्य सामग्री समेत अन्य चीजों से भी मदद करता रहा है। ऐसे में नई दिल्ली घोषाण पत्र को जानकरा भारत की कूटनीतिक जीत भी बता रहे हैं।
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