---विज्ञापन---

दुनिया की इकलौती महिला, जो ‘ब्लैकलेग’ से बची; बिल्ली के काटने से फैला था इन्फेक्शन

Blackleg rare infection: नंगे हाथ बागवानी करते समय घातक ‘ब्लैकलेग’ बैक्टीरिया की चपेट में आई ऑस्ट्रेलिया की महिला की जान बच गई है। ये दुनिया की इकलौती महिला हैं, जिन्होंने इस बीमारी को मात दी है। इससे पहले यह इन्फेक्शन दो लोगों में हुआ था। जिनकी मौत हो गई थी। माना जा रहा है कि […]

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Sep 30, 2023 09:56
Share :
Blackleg bacteria, Australian woman

Blackleg rare infection: नंगे हाथ बागवानी करते समय घातक ‘ब्लैकलेग’ बैक्टीरिया की चपेट में आई ऑस्ट्रेलिया की महिला की जान बच गई है। ये दुनिया की इकलौती महिला हैं, जिन्होंने इस बीमारी को मात दी है। इससे पहले यह इन्फेक्शन दो लोगों में हुआ था। जिनकी मौत हो गई थी। माना जा रहा है कि जब महिला नंगे हाथों से बागवानी कर रही थी, तब इनको बिल्ली ने काट लिया था। यह बीमारी मुख्य रूप से पशुओं या भेड़ों में आती है।

इस बीमारी से बचना आसान नहीं होता। महिला की उम्र 48 साल बताई जा रही है। जिनकी पहले उल्टी और मतली की शिकायत हुई थी। बाद में महिला को पेट के निचले दाएं हिस्से में दर्द होने लगा। जिसके बाद टेस्ट करवाए, तो पता लगा कि किडनी और लिवर खराब हो रहे हैं। सेप्टिक शॉक के कारण वे डायरिया की चपेट में जा रही हैं। जिसके बाद डॉक्टरों ने सीटी स्कैन किया। तब सूजन या इन्फेक्शन नहीं मिला, तब महिला को एंटीबायोटिक्स दी गईं।

यह भी पढ़ें-कोविड जंबो सेंटर में बीएमसी अफसरों के बीच बंटा था 60 लाख का सोना…ईडी ने चार्जशीट में किया खुलासा

सांस के जरिए अंदर जाते हैं बैक्टीरिया

दर्द तेज हुआ, तब डॉक्टरों ने फिर सीटी स्कैन किया। बड़ी और छोटी आंत में सूजन मिलने पर आईसीयू में भर्ती करवाया गया। दो दिन तक गहन परीक्षण के बाद उनको क्लोस्ट्रीडियम चाउवोई बैक्टीरिया की पुष्टि हुई, जो जानलेवा है। ये बैक्टीरिया सांस के जरिए अंदर जाते हैं। मिट्टी में बीजाणुओं के रूप में पाए जाते हैं। जो मांसपेशियों के ऊतकों में रक्त प्रवाह के जरिए जाते हैं। जब मांसपेशियों में ऑक्सीजन कम होती है, तो विषाक्त पदार्थ बनते हैं। ये डीएनए को भी नुकसान पहुंचाते हैं, जो ब्लड शैल या एंजाइम खत्म करते हैं।

किडनी और लिवर ने फिर शुरू किया काम

डॉक्टरों ने बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए महिला को एंटीबायोटिक्स के साथ हाईपरबेरिक और ऑक्सीजन थेरेपी दी। मरीज को हाई फैसिलिटी वार्ड में रख बैक्टीरिया को रोकने के लिए काम किया गया। जिसके बाद किडनी और लिवर ने फिर काम शुरू किया। लैक्टिक एसिड का लेवल गिरने के बाद उसको अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया।

First published on: Sep 30, 2023 07:53 AM
संबंधित खबरें