1972 Munich Massacre : दुनिया में जंग का विरोध और शांति की वकालत करने वाले कई लोग खेलों को लड़ाई का विकल्प बताते आए हैं। उनका कहना है कि विवादों को सुलझाने के लिए हिंसक जंग की शुरुआत करने से बेहतर है कि उसे खेलों के जरिए सुलझा लिया जाए। लेकिन, क्या हो जब यही खेल हिंसा की आग में झुलसने लगें। ऐसा ही कुछ हुआ था 5 सितंबर 1972 को जब खेलों के महाकुंभ कहे जाने वाले ओलंपिक गेम्स को आतंकवादियों ने अपना निशाना बना लिया था। जर्मनी के म्यूनिख में हो हुआ यह ओलंपिक गेम आज भी खेलों के इतिहास में लाल धब्बे की तरह याद किया जाता है।
❗️🇩🇪💥🇮🇱 – An armed suspect was killed in a shootout with Munich police near the Israeli consulate on the 52nd anniversary of the 1972 Munich massacre, in which 11 Israeli athletes were murdered by a Palestinian terrorist group.
---विज्ञापन---The incident occurred near the Israeli Consulate… pic.twitter.com/bRfwJgpncq
— 🔥🗞The Informant (@theinformant_x) September 5, 2024
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5 सितंबर 1972 को फिलिस्तीनी आतंकी संगठन ब्लैक सेप्टेंबर के 11 सदस्यों ने म्यूनिख में ओलंपिक विलेज पर हमला कर दिया था और 11 इजराइली एथलीट्स को बंधक बना लिया था। इनमें से 2 एथलीट्स की आतंकियों ने हत्या कर दी थी। वहीं, उन्हें बचाने के लिए चलाया गया रेस्क्यू ऑपरेशन पूरी तरह से फेल हो गया था और इस दौरान सभी बंधकों की जान चली गई थी। इनमें जर्मनी का एक अधिकारी भी था। इस घटना के बाद इजराइल ने एक खुफिया प्रोग्राम शुरू किया था। इसके तहत विदेशों में दुश्मनों का खात्मा करने के लिए सीक्रेट एजेंट्स भेजे जाने लगे थे। इजराइल में यह प्रैक्टिस आज भी जारी है।
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ढूंढ-ढूंढ कर की आतंकियों की हत्या
इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ब्लैक सेप्टेंबर के सदस्यों को ढूंढ-ढूंढकर ठिकाने लगाने के लिए एक ऑपरेशन लॉन्च किया जिसे रैथ ऑफ गॉड यानी भगवान का बदला नाम दिया गया था। इस ऑपरेशन के तहत मोसाद ने विदेशों में जाकर आतंकी गुट के टॉप नेताओं को निशाना बनाया था। उस समय इजराइली सेना में कमांडो रहे एहुद बराक ने कहा था कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख देने वाली इस घटना ने जनता को आक्रोशित किया और इसका बदला लेना जरूरी है। बराक इजराइल के प्रधानमंत्री भी रहे। इजराइल ने आतंकी संगठन ब्लैक सेप्टेंबर के खिलाफ लंबा ऑपरेशन चलाया था।
52 yrs after the Munich massacre, during which 11 Israelis were massacred by Palestinian terrorists, the Palestinians continue to resort to terrorism.
Peace will finally be achieved when the Palestinians want it more than they want to annihilate Jews.
— Yaki Lopez🎗️ (@YakiLopez) September 5, 2024
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‘सांप का सिर कुचलने’ की रणनीति
तत्कालीन प्रधानमंत्री गोल्डा मियर के नेतृत्व में इजराइल ने सांप का सिर कुचलने की रणनीति पर चलने का फैसला लिया और यूरोप व मिडिल ईस्ट में अपने एजेंट्स भेजकर ब्लैक सेप्टेंबर की लीडरशिप का खात्मा करना शुरू किया। साल 1973 में इजराइली एजेंट्स ने महिलाओं के वेश में बेरूत में एक मिशन के दौरान तीन फिलिस्तीनी लीडर्स की हत्या कर दी थी। इस टीम का नेतृत्व एहुद बराक ने ही किया था जो खुद एक महिला का रूप धरे हुए थे। इजराइल का यह ऑपरेशन यहीं खत्म नहीं हुआ। साल 1979 में मोसाद को ब्लैक सेप्टेंबर के नेता अली हसल सलामेह की जान लेने में सफलता मिल पाई थी।
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