Child Pornography Case Supreme Court Verdict: डिजिटल युग के जमाने में फोन और इंटरनेट हर किसी के पास मौजूद है। वहीं देश में पॉर्न देखने का ट्रेंड भी बढ़ता जा रहा है, जिससे बड़ी संख्या में अपराध का जन्म हो रहा है। हाल ही में हुआ कलकत्ता मर्डर केस इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां पॉर्न देखने के बाद महिला डॉक्टर का रेप किया और बड़ी बेरहमी के साथ उसे मौत के घाट उतार दिया गया। ऐसे में सवाल यह है कि क्या पॉर्न पर बैन लगना चाहिए। इसी से जुड़े एक मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
केरल हाईकोर्ट का फैसला
चाइल्ड पोर्नोग्राफी अकेले देखना सही है या नहीं? क्या कोई शख्स मोबाइल में पॉर्न देख सकता है? इस पर फैसला सुनाते हुए केरल हाईकोर्ट ने इसे सही ठहराया था। 13 सितंबर 2023 को केरल हाईकोर्ट में एक मामला गया था। इस केस के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी को दिखाए बगैर अपने निजी समय में पॉर्न देख रहा है, तो क्या यह सही है या नहीं? इस पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि इसे अपराध की कैटेगरी में नहीं लाया जा सकता है क्योंकि ये व्यक्ति की निजी पसंद है और इसमें दखल देना निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा।
मद्रास हाईकोर्ट ने आरोपी को किया रिहा
11 जनवरी 2024 को केरल हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर मद्रास हाईकोर्ट ने भी एक आरोपी को दोषमुक्त कर दिया था। मद्रास हाईकोर्ट का कहना था कि अपने डिवाइस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना या डाउनलोड करना अपराध के दायरे में नहीं आता है। जेनरेशन z के लोग पोर्नोग्रॉफी के एडिक्शन तक जा चुके हैं। ऐसे लोगों को सजा देने की बजाए शिक्षित करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
केरल हाईकोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब देखना होगा सुप्रीम कोर्ट इसे सही ठहराता है या गलत? देश में पोर्नोग्राफी को लेकर कानून क्या कहता है? जानने के लिए देखें ये वीडियो…