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दुनिया का सबसे बड़ा रहस्य: समुद्र की वो जगह, जहां समा जाते हैं बड़े से बड़े जहाज

डॉ. आशीष कुमार। दुनिया रहस्यों से भरी हुई है। इस पृथ्वी पर ऐसी अनेकों जगह हैं, जहां विज्ञान और प्रकृति के नियम भी फैल हो जाते हैं। बरमूडा ट्रायएंगल (Bermuda Triangle) भी ऐसी जगह है, जो मानव के लिए आज भी आगम-अजान बनी हुई है। बरमूडा ट्रायएंगल ( Bermuda Triangle mystery) में अनेकों वायुयान और […]

Edited By : News24 हिंदी | Updated: May 29, 2023 18:15
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Bermuda Triangle mystery

डॉ. आशीष कुमार। दुनिया रहस्यों से भरी हुई है। इस पृथ्वी पर ऐसी अनेकों जगह हैं, जहां विज्ञान और प्रकृति के नियम भी फैल हो जाते हैं। बरमूडा ट्रायएंगल (Bermuda Triangle) भी ऐसी जगह है, जो मानव के लिए आज भी आगम-अजान बनी हुई है। बरमूडा ट्रायएंगल ( Bermuda Triangle mystery) में अनेकों वायुयान और पानी के जहाज गायब हो चुके हैं। वैज्ञानिकों ने बरमूडा रहस्यों की अपने-अपने अनुसार व्याख्या करने की कोशिश की है, लेकिन कोई सटीक नतीजे पर नहीं पहुंच पाया है।

बरमूडा ट्रायएंगल उत्तरी अंध महासागर में स्थित है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिण पूर्व से लेकर एंटलीज के द्वीपों तक फैला हुआ है। एंटलीज देशों में क्यूबा, जमैका, प्यूटोरिको आदि देश सम्मिलित हैं। इसका फैलाव त्रिकोण के रूप में है, इसलिए इसे ट्राएंगल कहा जाता है। इसके अक्षांशीय और देशांतरीय स्थिति 27.132 उत्तरी अक्षांश से 73.086 पश्चिम देशांतर तक है। बरमूडा ट्रायएंगल अपने उदर में सैकड़ों वायुयानों, पानी के बड़े-बड़े जहाजों, नौकाओं को निगल चुका है और कितने ही व्यक्ति अपनी जान गंवा चुके हैं।

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1840 में आया पहला मामला 

बरमूडा ट्रायएंगल कबसे जहाजों और लोगों को निगल रहा है, इसका सटीक रिकॉर्ड किसी के पास नहीं है। लेकिन, सबसे पहला मामला 1840 में प्रकाश में आया, जब रोसेली नाम का एक जहाज इस जगह पर गुम हो गया। यह जहाज क्यूबा के हवाना शहर से यूरोप के लिए रवाना हुआ था। यह जहाज बरमूडा ट्राएंगल में गायब हो गया। खोजी दल द्वारा इसे खोजने का प्रयास किया, लेकिन नामो निशान तक नहीं मिला। कोई नतीजा नहीं निकलने पर लोगों ने इसे दुर्घटना मानकर संतोष कर लिया। इसके चार दशक बाद एक और जहाज बरमूडा क्षेत्र में गुम हो गया। जनवरी 1880 में ब्रिटेन को एक जलपोत अटलांटा 290 यात्रियों के साथ बरमूडा से होकर इंग्लैंड की ओर जा रहा था। यह जहाज बरमूडा में प्रवेश किया ही था कि गुम हो गया। जहाज के अवशेष तक नहीं मिले। इसके बाद इस त्रिकोण क्षेत्र को रहस्यमयी घोषित कर दिया गया।

309 यात्रियों का कोई पता नहीं

समय के साथ जहाजों की तकनीक उन्नत होती गई, लेकिन वह बरमूडा ट्रायएंगल की शक्तियों से पार नहीं पा सके। उन्नत तकनीक से लैस जहाज भी इस खूनी पंजे का शिकार होते रहे हैं। बीसवीं सदी बरमूडा त्रिकोण की अनेक दुर्घटनाओं की साक्षी रही। अक्टूबर, 1902 में जर्मनी का फ्रेजर जहाज बरमूडा में समा गया। 4 मार्च, 1918 को अमेरिकी जहाज साइक्लोप्स इसके रहस्य गर्भ में विलुप्त हो गया। साइक्लोप्स में 300 से अधिक यात्री सवार थे। यह जहाज करीब 500 फीट लंबा और 29 हजार टन वजनी था। यह जहाज 4 मार्च, 1918 को बारबाडोस से नॉरफ़ॉक के लिए निकला था। बाद में इसका और इसके 309 यात्रियों का कोई पता नहीं चला।

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एक कुत्ता तैरता हुआ मिला

बरमूडा ट्राएंगल से जुड़ी ऐसी अनेकों कहानियां हैं। सन् 1925 में एसएस कोटोपैक्सी नाम का जहाज चार्ल्सन से हवाना को जाते हुए इस क्षेत्र में गायब हो गया। जॉन और मैरी नाम के जहाज भी सन् 1932 बरमूडा के रहस्यों के शिकार हो गए। ग्लोरिया कोलाइट 1940 में सेंट विसेंट से चलकर गायब हो गया। क्यूबा का रूबिकॉन सन् 1940 में इस इलाके में रहस्मयी तरीके से डूब गया। इस जहाज पर सवार सभी लोग जहाज समेत गायब थे, लेकिन एक कुत्ता तैरता हुआ मिला, जो जहाज में लोगों के साथ यात्रा कर रहा था।

जहाज बिना किसी चेतावनी के गायब हो गए

सन् 1924 में जापानी जहाज रोइकू मारू बरमूडा में डूब गया। 1931 में स्ट्रावेंगर और 1938 में एंग्लो ऑस्ट्रेलियन जहाज इस एरिया में काल कलवित हो गए। सन् 1950 में एमएस सांद्रा और 2 फरवरी 1963 को मेराइन सल्फर क्वीन जहाज बिना किसी चेतावनी के बरमूडा ट्रायएंगल में रहस्यमयी तरीके से सवार लोगों सहित गायब हो गए। 1 जुलाई, 1963 को रूनो ब्यॉय जहाज और 5 दिसंबर, 1967 को रेनोबोक जहाज इस अभिशप्त क्षेत्र से पार न पा सके।

24 दिसंबर 1967 को विचक्राफ्ट नाम का जहाज बरमूडा ट्राएंगल की सीमारेखा में प्रवेश करते ही रहस्यमयी तरीके से गायब हो गया। सन् 1970 में लुसियाना के न्यू आर्लियंस से केपटाउन की यात्रा पर निकला भारी भरकम मिल्टन इट्राइडस जहाज का इस क्षेत्र से पता ही नहीं चला।

बरमूडा के इस त्रिकोणनुमा क्षेत्र में केवल पानी के जहाज ही नहीं, बल्कि वायुयान भी इसकी रहस्य शक्तियों से बच नहीं पाते हैं। इस क्षेत्र में हवा में उड़ते हुए जहाज बिना कोई चेतावनी दिए गायब हो गए या जिन वायुयानों ने इसकी रहस्यमयी शक्तियों का सामना किया, उनके पायलटों ने रहस्मयी अनुभवों के बारे में बताया। सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा मिनटों में तय कर ली गई। कुछ पायलटों द्वारा इस क्षेत्र रहस्यमयी बादलों या चीजों को देखे जाने का दावा भी किया गया, हालांकि वह कभी प्रमाणित नहीं किया जा सका।

रहस्य की गहराइयां

उपलब्ध रिकॉर्डों के मुताबिक 5 दिसंबर, 1945 को टीबीएम नेवी एवेंजर बमवर्षक विमान गायब हो गया। इसी विमान के सहयोग के लिए पीछे उड़ रहा पीवीएम मार्टिन भी इस अज्ञात रहस्य में सदा के लिए समा गया। इस दोनों जहाजों में करीब एक दर्जन व्यक्ति सवार थे, जो विमानों के साथ ही गायब हो गए। सन 1947 में अमेरिकी सैनिक विमान सी-54 सुपरफोर्ट बरमूडा के ऊपर से उड़ान भरते समय इसकी रहस्य की गहाराइयों में गुम हो गया।

29 जनवरी, 1948 को टूडर आईबी स्टार टाइगर विमान 31 यात्रियों के साथ 380 मील उत्तर पूर्व में उड़ रहा था, जो इसके रहस्य गर्त में समा गया। इसी साल 29 दिसंबर को डिजी-3 निजी विमान मियामी से गायब हो गया। इस स्थान के रहस्य का कोई अंत नहीं है। विमानों के गायब होने का क्रम कभी थमा नहीं। समय-समय पर इस स्थान पर विमान गायब होते रहे।

17 जनवरी, 1974 में लंदन से सेंटियागो जाते समय स्टार एरियल विमान को बरमूडा ने अपना ग्रास बना लिया। यही हाल सन् 1950 में अमेरिकी ग्लोबमास्टर का हुआ। सन् 1962 को अमेरिका बी-50 विमान भी बरमूडा में समा गया। 1963 में भी दो घटनाएं घटी, जिन्होंने सभी को आश्चर्य में डाल दिया। 28 अगस्त, 1963 को अमेरिकी एयरफोर्स का केसी-135 और 22 सितंबर, 1963 को कार्गो मास्टर इसके रहस्यों में समा गए।

रहस्य केवल बरमूडा तक ही सीमित नहीं

इस प्रकार के रहस्य केवल बरमूडा तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि ऐसे कई सागर बदनाम हैं, जो अपनी रहस्यमयी ताकतों से जहाजों और विमानों को शिकार बनाते हैं। ऐसे सागरों में दक्षिणी-पूर्वी जापान सागर, मार्कस द्वीप समूह का सागर इस प्रकार के रहस्यों के लिए कुख्यात हैं, जो जहाजों की मौत का कारण बनते हैं। जापानी मछुआरे इन सागरों को मौत का दैत्य कहते हैं। वे इन इलाकों में मछलियां पकड़ने से भी बचते हैं। यहां अधिकांश जापानी जहाज ही हादसों का शिकार हुए हैं। सन् 1950 से 1954 के बीच एक दर्जन से अधिक जापानी जहाज इन क्षेत्रों में हादसों का शिकार हुए। इस जापानी क्षेत्र के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए एक खोजी वैज्ञानिक दल रकौया मॉस-5 भेजा गया था जो वैज्ञानिकों सहित रहस्यमयी तरीके से गुम हो गया। जापानी लोगों का मानना है कि इस क्षेत्र को कोई जहाज स्पर्श करे उसे पसंद नहीं है। इस क्षेत्र के उदर की क्षुधा उसे निगल कर ही शांत होती है।

दशकों से चल रही है खोज

इस क्षेत्र के रहस्यों को सुलझाने में वैज्ञानिक सफल नहीं हो पाए हैं। विज्ञान अक्सर दावा करता रहता है कि उसने प्रकृति को अपने वश में कर लिया है। जबकि हकीकत और शक्ति का अहसास प्रकृति के ये रहस्य अक्सर कराते रहते हैं। आधुनिक उपकरणों की मदद से दशकों से खोज चल रही है। रहस्यों को सुलझाने की व्याख्या केवल अटकलों के आधार पर ही की जाती है। सटीक प्रामाणिक जानकारी अभी तक हासिल नहीं हो पाई है।

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News24 हिंदी

First published on: May 29, 2023 06:15 PM

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