Premanand Maharaj : क्या हमें भंडारा या लंगर को खाना चाहिए? क्या भंडारा और लंगर खाने से कोई बुरा प्रभाव पड़ता है? प्रेमानंद महाराज से एक भक्त ने जब ये सवाल पूछा तो उन्होंने इस पर जवाब दिया है और बताया है कि भंडारा खाने से क्या प्रभाव पड़ता है। प्रेमानंद महाराज से सवाल पूछा गया था कि बहुत से लोग भंडारा लगाते हैं या भगवान के नाम पर प्रसाद या लंगर लगाते हैं। ऐसे में क्या बांटने वाले के पाप कट रहे हैं और पाने वाले के हिस्से में आ रहे हैं।
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि भंडारा की जगह लोगों को यह भी कह सकते हैं कि भगवान आपकी दी गई वस्तु को हम लोगों की सेवा में लगा रहे हैं लेकिन प्रसाद पाने वाले को ध्यान रखना चाहिए कि अगर आप गृहस्ठ हैं और तीर्थ या धाम आए हो तो प्रसाद या भंडारा संभल कर खाना चाहिए। मंदिर में प्रसाद मिले तो ले लो लेकिन प्रसाद के नाम पर जो भर-भर के खीर, पकौड़ी और समोसा खा रहे हो वो ठीक नहीं है।
हलुआ पूड़ी खाओगे तो नहीं काम करेगा दिमाग
महाराज ने कहा कि तीर्थ या धाम में जब भी जाओ तो दो लोगों को कुछ खिला दो लेकिन वहां खाने की इच्छा मत रखो। गृहस्थ इंसान हो, एक दिन उपवास कर लो, अगले दिन चना चबा कर रह सकते हो। अब दूसरों का दिया हुआ हलुआ पूड़ी और कचौड़ी खाओगे तो ना दिमाग काम करेगा और ना ही भजन हो पाएगा।
भंडारा आदि या आश्रम मे प्रसाद पाते समय रखें इन बातों का ध्यान ! Bhajan Marg pic.twitter.com/asErHQHtCq
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उन्होंने कहा कि अगर कहीं कुछ बंट रहा है तो कुछ देकर ही खाना चाहिए। अगर होटल में उस खाने की कीमत लगभग 100 रुपये हैं तो 50 देकर आ ही सकते हो। प्रभु के चरणों में चढ़ा देना चाहिए। इसीलिए हर कोई तीर्थों में जाकर लाभ नहीं ले पाता। महाराज ने कहा कि लोग फ्री का खाकर सोचते हैं कि हमें 100 रुपये बचा लिए लेकिन इसके बदले कमाए हुए पुण्य को आप दूसरों को दे रहे हो।
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प्रेमानंद महाराज ने कहा कि अगर तीर्थ जा रहे हैं तो किसी का दिया हुआ पाएं (खाएं) नहीं, किसी की निंदा न करें। कोई पाप ना करें। एक दिन उपवास करके चला जाए लेकिन कोई गलत आचरण ना करें। गृहस्थ जीवन जीने वालों को ऐसा करना ही नहीं चाहिए।