Nawab Mahabat Khanji III And Marriage Of His Dog: नवाबों की नवाबी के किस्से तो आपने खूब सुने होंगे लेकिन आज हम आपको जिस नवाब के बारे में बताने जा रहे हैं उसकी रईसी अलग ही थी। कुत्ते पालने के शौकीन इस नवाब ने अपने पसंदीदा कुत्ते की शादी में 2 करोड़ रुपये खर्च कर दिए थे। इस नवाब का नाम था मोहम्मद महाबत खानजी तृतीय और वह जूनागढ़ रियासत के आखिरी नवाब थे। कहा जाता है कि नवाब महाबत को जानवरों से बहुत प्यार था और उन्होंने 800 से ज्यादा कुत्ते पाल रखे थे।
साल 1898 में जन्मे महाबत खानजी को अपने कुत्तों में जिससे सबसे ज्यादा मोहब्बत थी उसका नाम रोशनआरा था। रोशनआरा की उन्होंने साल 1922 में धूमधाम से शादी कराई थी। आज के समय में भी अगर शादी में अगर 1 करोड़ रुपये खर्च हो जाएं तो उसे बहुत माना जाता है। लेकिन, तब के समय में नवाब महाबत ने रोशनआरा की शादी में 2 करोड़ रुपये खर्च कर दिए थे। इतना ही नहीं इस दिन रियासत में सार्वजनिक अवकाश तक घोषित कर दिया गया था। रोशनआरा की शादी बॉबी नाम के एक गोल्डन रिट्रीवर के साथ हुई थी।
Sir Muhammad Mahabat Khan III (1900-1959) famous for having a breeding of over 2000 #dogs and for loving them each as their own children #dogsarefamily #dogsarelove #History #photography #PhotoOfTheDay #India #lovedogs pic.twitter.com/itc6BSc3d2
— Dogs_Historian – Giovanni Padrone 🇺🇦🇮🇱 (@DogsHistorian) August 11, 2022
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ऐसे हुआ था रोशनआरा का निकाह
बताया जाता है कि आलीशान समारोह में हुई इस शादी में रोशनआरा को चांदी की पालकी में बिठाकर लाया गया था। वहीं, बॉबी की एंट्री 25 कुत्तों के साथ हुई थी जो सोने के ब्रेसलेट पहने हुए थे। नवाब ने इस शादी में शामिल होने के लिए भारत के तत्कालीन वायसरॉय समेत पूरे भारत से मेहमानों को न्योता दिया था। हालांकि, वायसरॉय इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। बताते हैं कि नवाब के सभी कुत्तों का अलग कमरा था और उनकी सेवा के लिए नौकर थे। इसके अलावा खास मौकों पर उन्हें स्पेशल कपड़े भी पहनाए जाते थे।
गिर के शेरों के लिए भी किया काम
नवाब को सिर्फ कुत्तों से प्यार के लिए ही नहीं बल्कि गिर के शेरों के संरक्षण के लिए किए गए कार्यों के लिए भी जाना जाता है। पहले के भारतीय शासक शेरों और बाघों का शिकार अपने मनोरंजन के लिए करते थे। इस वजह से उनकी आबादी घटती जा रही थी। गिर के जंगलों में पाए जाने वाले प्रसिद्ध एशियाई शेरों की संख्या पर खतरा मंडराने लगा था। यह जंगल तब जूनागढ़ रियासत में ही आता था। नवाब ने शेरों की सुरक्षा के लिए गिर सैंक्चुअरी स्थापित की थी। इसके अलावा गिर की गायों के लिए भी उन्होंने प्रोग्राम शुरू किया था।
The eccentric Maharaja of #Junagadh, Muhammad Mahabat Khan III (1900-1959) owned over 800 #dogs, each with its own room, a telephone and an attendant. It is believed that he invited Lord Irwin to the marriage of his favorite pet Roshanara, but the viceroy understandably refused. pic.twitter.com/c6UbBFHALL
— PeepulTreeWorld (@PeepulTreeWorld) May 2, 2018
कुत्ते नहीं छोड़े, बेगम-बच्चे छोड़ दिए
साल 1947 में जब देश को आजादी मिली और भारत व पाकिस्तान का विभाजन हुआ तो जूनागढ़ रियात भारत के हिस्से में आई थी और नवाब महाबत पाकिस्तान चले गए थे। लेकिन, इस दौरान उन्होंने अपने कुत्तों को पीछे छोड़ने से साफ इनकार कर दिया था। हालांकि, अपनी एक बेगम और बच्चे को वह यहीं छोड़ गए थे। बताते हैं कि जब रोशनआरा का निधन हुआ था तो उस दिन को नवाब महाबत ने रियासत में राजकीय शोक घोषित करवा दिया था। साल 1959 में कराची में नवाब महाबत खानजी तृतीय का निधन हो गया था।
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