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क्या है Green Islam? पर्यावरण के लिए ‘अनोखा’ रास्ता अपना रहा दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश

Green Islam: दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद इस्तिकलाल मस्जिद इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में स्थित है। इस मस्जिद के मुख्य इमाम ने पर्यावरण को लेकर मुसलमानों की जिम्मेदारी पर जोर दिया है और इस चुनौती से निपटने की अपील की है। बता दें कि इस्तिकलाल शब्द का मतलब आजादी होता है। मस्जिद के इमाम की यह पहल पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोर रही है जिसे ग्रीन इस्लाम (Green Islam) कहा जा रहा है।

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: Apr 18, 2024 17:57
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Jakarta’s Istiqlal Mosque
Jakarta’s Istiqlal Mosque

What Is Green Islam : इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश है। हाल ही में यहां की राजधानी जकार्ता में स्थित इस्तिकलाल मस्जिद में हजारों की संख्या में लोग जुटे थे। इस दौरान देश के नेताओं ने पर्यावरण को लेकर सख्त चेतावनी दी और इससे निपटने के लिए असरदार रास्तों को अपनाने की अपील की। इस्लाम के आधार पर बताए गए इन तरीकों को अपनाने की इस पहल को ‘ग्रीन इस्लाम’ (Green Islam) कहा जा रहा है। जानिए यह पहल यहां कैसा असर डाल सकती है।

An X Post On Green Islam In Indonesia

दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद इस्तेकलाल के मुख्य इमाम नसरुद्दीन उमर ने कहा कि इंसानों के रूप में हमारी सबसे खतरनाक गलती यह रही है कि हम धरती को एक वस्तु के तौर पर देखते आए हैं। प्रकृति को लेकर हमारा लालच जितना बढ़ेगा तबाही का दिन उतनी ही जल्दी आएगा। इसके बाद उन्होंने यह भी बताया कि इस्लाम के अनुसार पर्यावरण और धरती की सुरक्षा कैसे की जा सकती है। उन्होंने कहा कि रमजान के पाक दिनों में हर मुसलमान धरती का गार्जियन होता है।

‘मोहम्मद साहब के निर्देशों का पालन कर रहा हूं’

नसरुद्दीन पर्यावरण को लेकर पहले भी चिंता जाहिर कर चुके हैं। जिस नदी के किनारे पर इस्तिकलाल मस्जिद स्थित है उसमें फैली गंदगी को देखते हुए उन्होंने सफाई का आदेश दिया। इसके अलावा उन्होंने मस्जिद में सोलर पैनल लगवाए, ऐसे नल लगवाए जिनसे पानी धीरे-धीरे निकलता है ताकि पानी की बर्बादी कम हो सके। साथ ही साथ उन्होंने इस मस्जिद को वॉटर रिसाइकलिंग सिस्टम से भी लैस किया है। इसे लेकर उन्होंने कहा कि मैं केवल मोहम्मद साहब के निर्देशों का पालन कर रहा हूं।

बता दें कि इंडोनेशिया की आबादी 20 करोड़ से ज्यादा है जिसमें से बहुलता मुसलमानों की है। यहां इस्लाम के जरिए पर्यावरण को लेकर जागरूकता का संदेश देने वालों में इमामल नसरुद्दीन अकेले नहीं हैं। यहां की कई मस्जिदों के शीर्ष इमाम क्लाइमेट चेंज की समस्या का समाधान करने के लिए फतवे जारी कर चुके हैं। एक इंटरव्यू में नसरुद्दीन ने कहा था कि दुनिया में मुसलमानों की सबसे बड़ी आबादी वाले देश के तौर पर हमारी ओर से मुसलमान समुदाय के लिए अच्छेउदाहरण रखना जरूरी है।

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First published on: Apr 18, 2024 05:27 PM

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