Indian Railways General Coach : ट्रेन में यात्रा करते समय आपने नोटिस किया होगा कि पहला और आखिरी डिब्बा अनारक्षित होता है। जिनके पास कंफर्म टिकट नहीं होता है वे इसी अनारक्षित डिब्बे में यात्रा करते हैं। टिकट मिलना कितना मुश्किल है, ऐसे में इन डिब्बों में कई बार इंसान जानवर की तरह यात्रा करता आसानी से दिख जाता है लेकिन सवाल ये है कि अनारक्षित डिब्बे शुरुआत या आखिरी में ही क्यों होते हैं, बीच में क्यों नहीं?
कई लोगों का मानना है कि अनारक्षित डिब्बे में सफर करने वालों की क़द्र नहीं की जाती है, उसमें गरीब लोग अधिक सफर करते हैं इसलिए उनके जान की परवाह नहीं की जाती है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ये कारण बिलकुल भी नहीं है। इसके पीछे रेलवे ने बेहद दिलचस्प कारण बताया है।
रेलवे के मुताबिक, अनारक्षित कोच का भार अधिक होता है क्योंकि उसमें यात्री अधिक होते हैं। ट्रेन के आगे और पीछे इन डिब्बों को इसलिए लगाया जाता है कि दोनों तरफ बराबर वजन हो। अगर अनारक्षित कोच बीच में लगाए जाएंगे तो वहां वजन बढ़ जाएगा। इससे ट्रेन के डिरेल होने की संभावना बढ़ जाती है।
अनारक्षित डिब्बे की पहचान
जनरल या अनारक्षित डिब्बों की पहचान बहुत ही आसान है। इन डिब्बों के दरवाजे पर सफेद या पीले रंग की पट्टियां होती हैं। यही सबसे बड़ी निशानी होती है कि ये डिब्बा या कोच जनरल या अनारक्षित कोच है। इन डिब्बों में आप चालू टिकट लेकर बैठ सकते हैं और यात्रा कर सकते हैं लेकिन अक्सर इन डिब्बों में भीड़ बहुत होती है।
सबसे साफ प्रीमियम ट्रेन
ट्रेनों की साफ-सफाई को लेकर एक सर्वे किया गया। ऐसे में 77 प्रीमियम ट्रेनों को शामिल किया गया। सबसे साफ ट्रेनों में पुणे-सिकंदराबाद और हावड़ा-रांची एक्सप्रेस का नाम शामिल रहा। सर्वे के आंकड़ों से पता चला कि 23 राजधानी ट्रेनों में से मुंबई-नई दिल्ली राजधानी सबसे साफ ट्रेन है, जबकि नई दिल्ली-डिब्रूगढ़ सबसे गंदी रही।