Election Facts: लोकसभा चुनाव 2024 की तारिख की घोषणा हो चुकी है। 19 अप्रैल से मतदान शुरू होने वाले हैं और 2 जून को परिणाम सामने आएंगे। ऐसे हम आपको भारतीय चुनाव इतिहास में हुई एक दिलचस्प घटना के बारे में बताने जा रहे हैं। एक वक्त ऐसा आया था जब दो उम्मीदवारों को बराबरी का वोट मिला था, जानते हैं तब जीत-हार का फैसला कैसे हुआ था?
सिक्का उछालकर हुआ था सीएम का फैसला
मेघालय में राजनीतिक अस्थिरता बनी रहती है। मेघालय में अब तक 21 से अधिक सीएम शपथ ले चुके हैं। एक बार मेघालय में सीएम पद को लेकर गठबंधन में ठन गई थी तब सीएम कौन बनेगा इसका फैसला करने के लिए सिक्का उछाला गया था। सिक्का उछालने के बाद जिसके हक में परिणाम आया था, वह सीएम बना था।
जब दो विधायकों को मिले बराबर के वोट
बात साल 1988 की है, मेघालय में विधानसभा चुनाव हो रहे थे। जब चुनाव के नतीजे सामने आए तो दो उम्मीदवार रोस्टर संगमा और चेम्बर लाईन मार्क को बराबर वोट मिले। ऐसे में अधिकारी ने विजेता घोषित करने के लिए टॉस करने का फैसला किया था। टॉस में रोस्टर संगमा विजयी हो गए थे और उन्हें ही विजेता घोषित किया गया था।
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असम में भी उछाला गया सिक्का तो मुंबई में लॉटरी
साल 2018 में असम में हुए पंचायत चुनाव में स्वाधीन, हेलखांडी और लालमुख पंचायत चुनाव में दो उम्मीदवारों को बराबर के वोट मिले थे, तब भी सिक्का उछला गया था। वहीं मुंबई में BMC चुनाव के दौरान बीजेपी के अतुल शाह और शिवसेना के सुरेंद्र बगलकर को बराबर वोट मिले थे, तब लॉटरी के जरिए विजेता की घोषणा हुई थी
साल 2010 में झारखंड में भी ऐसी ही स्थिति आ गई थी जब सिक्का उछालकर विजेता की घोषणा हुई थी। पंचायत चुनाव में साहेबगंज जिले के बढरवा ब्लॉक में नवजीत बीवी और सुगना सुल्ताना बराबर के वोट मिले थे। तब चुनाव अधिकारी ने सिक्का उछालकर विजेता का फैसला किया था। बताया गया कि दोनों ही उम्मीदवारों को 610-610 वोट मिले थे।