Gujrat News: गुजरात के अमरेली जिले से वन्यजीव संरक्षण को लेकर बेहद चिंताजनक खबर सामने आई है. 6 महीनों में यहां 31 एशियाई शेरों की मौत दर्ज की गई है.केवल तीन की मौतें प्राकृतिक बताई जा रही है. बाकी सभी शेर गंभीर बीमारियों का शिकार हुए है जो इस क्षेत्र के वन्यजीव स्वास्थ्य तंत्र के लिए चिंता का विषय है.
मौतों के पीछे बीमारियों की लंबी कहानी
वन विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन बीमारियों ने इन वनराजों की जान ली है, उनमें मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर, न्यूमोनिया, एनीमिया, एनोक्षिया और सेप्टिसीमिया जैसी घातक बीमारी शामिल है.
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सीडीवी पर संदेह निराधार
शुरुआती अटकलों के अनुसार इन मौतों के पीछे कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (सीडीवी) को संभावित कारण बताया गया था, लेकिन वन विभाग ने जांच के बाद यह स्पष्ट किया है कि मौजूदा मामलों में सीडीवी की भूमिका नहीं पाई गई है.
रोकथाम के दावे, लेकिन नतीजे नाकाम
वन विभाग ने शेरों को बीमारियों से बचाने के लिए डी-वॉर्मिंग, डी-टीकिंग ट्रीटमेंट और प्रिवेंटिव डोज जैसे उपायों का हवाला दिया है. इसके साथ ही मवेशियों का वैक्सीनेशन भी किया जा रहा है, जिससे जूनोटिक संक्रमण को रोका जा सके, लेकिन सवाल यह है कि इन तमाम उपायों के बावजूद भी शेरों की मौतों का सिलसिला थमता क्यों नहीं दिख रहा?
वन्यजीव संरक्षण पर बड़ा सवाल
एशियाई शेर दुनिया में केवल गुजरात के गिर और उसके आसपास के क्षेत्रों में पाए जाते है. ऐसे में इनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही पूरे प्रजाति के अस्तित्व पर खतरे के रूप में देखी जा सकती है.
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