क्या आप जानते हैं कि पश्चिम बंगाल में एक ऐसी सरकारी योजना है, जिसने लाखों छात्रों की जिंदगी बदल दी है? हम बात कर रहे हैं ‘सबूज साथी योजना’ की, जिसमें स्कूल जाने वाले छात्रों को मुफ्त साइकिल दी जाती है। यह साइकिल न केवल उनके सफर को आसान बनाती है, बल्कि उन्हें शिक्षा के नए रास्तों पर आगे बढ़ने की ताकत भी देती है। खासकर दूर-दराज गांवों की लड़कियों को इसका बड़ा फायदा हुआ है। अब वे आत्मविश्वास के साथ स्कूल जा सकती हैं। यह योजना शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।
योजना की शुरुआत और उद्देश्य
पश्चिम बंगाल सरकार की एक अनोखी पहल “सबूज साथी योजना” छात्रों के लिए वरदान साबित हो रही है। यह योजना वर्ष 2015 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य छात्रों को स्कूल आने-जाने के लिए फ्री साइकिल देना है। खासकर उन छात्रों को, जो दूरदराज के इलाकों में रहते हैं और स्कूल तक पहुंचने में कठिनाई का सामना करते हैं। इस योजना के तहत कक्षा 9वीं से 12वीं तक के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों तथा मदरसों के छात्रों को मुफ्त साइकिल दी जाती है।
मुख्यमंत्री की पहल और योजना की खास बातें
यह योजना पहली बार राज्य के वित्त मंत्री द्वारा वर्ष 2015-16 के बजट भाषण में घोषित की गई थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस योजना को “सबूज साथी” नाम दिया और खुद इसका लोगो भी डिजाइन किया, जो साइकिल की टोकरी में लगाया जाता है। अक्टूबर 2015 में पश्चिम मेदिनीपुर से इस योजना की शुरुआत हुई थी। योजना का मुख्य उद्देश्य शिक्षा तक पहुंच को आसान बनाना है। इसके माध्यम से स्कूल ड्रॉपआउट दर में कमी आई है, खासतौर पर लड़कियों के बीच, क्योंकि अब वे बिना किसी डर के स्कूल जा सकती हैं।
योजना की सफलता और सामाजिक असर
अब तक इस योजना के तहत 80 लाख से ज्यादा साइकिलें बांटी जा चुकी हैं। यह योजना सिर्फ पढ़ाई को नहीं, बल्कि सेहत, साफ वातावरण और लड़का-लड़की की बराबरी को भी बढ़ावा देती है। यह योजना संयुक्त राष्ट्र के चार खास मकसदों से जुड़ी है अच्छे स्वास्थ्य (SDG3), अच्छी शिक्षा (SDG4), लड़का-लड़की की बराबरी (SDG5) और जलवायु की रक्षा (SDG13) इस योजना से बच्चों को स्कूल जाने में आसानी होती है, साथ ही वे सेहतमंद और आत्मनिर्भर बनने के लिए भी प्रेरित होते हैं।
क्या होनी चाहिए एलिजिबिलिटी और जरूरी शर्तें
इस योजना का लाभ उठाने के लिए छात्रों को कुछ मापदंड पूरे करने होते हैं, जैसे उम्र 13 से 18 साल के बीच होनी चाहिए, स्कूल 2 किलोमीटर से दूर होना चाहिए, पिछली कक्षा में कम से कम 60% उपस्थिति होनी चाहिए और परिवार की वार्षिक आय 2 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। योजना खासतौर पर ग्रामीण इलाकों और गरीब परिवारों के छात्रों के लिए काफी उपयोगी साबित हो रही है। “सबूज साथी योजना” ने यह साबित किया है कि अगर सही दिशा में काम किया जाए, तो शिक्षा सबके लिए और बेहतर बनाई जा सकती है।